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16-16 बच्चे पैदा करो..स्टालिन, चंद्रबाबू नायडू ने कहा-जिनके 2 से ज्यादा बच्चे वही चुनाव लड़ेंगे, जानें क्यों कही ऐसी बात

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के मुताबिक, भारत में हर महिला औसतन दो या उससे ज्यादा बच्चे को जन्म देती है। हालांकि, इनमें से कई बच्चे ऐसे हैं जो 18 साल तक जीवित नहीं रहते।

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने की वकालत की है। इसके बाद सीएम चर्चा का विषय बन चुके हैं। नायडू ने कहा है कि, राज्य में विकास दर बढ़नी चाहिए। सभी को इस बारे में सोचना चाहिए और परिवारों को कम से कम दो या उससे अधिक बच्चे पैदा करने का लक्ष्य रखना चाहिए। दरअसल केंद्र की यूथ इन इंडिया-2022 रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में 25 करोड़ युवा 15 से 25 साल के बीच के हैं। अगले 15 साल में यह और तेजी से गिरेगी।

नायडू ने कहा कि आंध्र प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं, जहां गांवों में सिर्फ बुजुर्ग ही बचे हैं। साउथ के राज्यों में फर्टिलिटी रेट लगातार गिरता जा रही है। देश में औसत प्रजनन दर जहां 2.1 है, वहीं साउथ स्टेट्स में यह आंकड़ा गिरकर 1.6 तक पहुंच गया है। CM ने कहा, पहले वह पॉपुलेशन कंट्रोल की बात करते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। ये ही नहीं सीएम ने कहा, आने वाले समय में जिनके दो या उससे ज्यादा बच्चे होंगे, वहीं स्थानीय निकाय चुनाव लड़ पाएंगे। राज्य सरकार इसके लिए जल्द ही कानून बनाएगी।

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एमके स्टालिन ने की 16 बच्चे पैदा करने बात
चंद्रबाबू नायडू के बाद, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने देश की जनसंख्या को बढ़ाने की बात कही है। स्टालिन ने कहा कि नए शादीशुदा जोड़े 16-16 बच्चे पैदा करें, इसलिस लोकसभा में प्रदेश की सीटों पर असर पड़ेगा।

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भारत में घट रही युवा आबादी
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 की मानें तो साल 2011 में भारत में युवा आबादी की औसत उम्र 24 साल थी, जो अब 29 साल हो गई है। वहीं 2036 तक भारत में बुजुर्गों जनसंख्या का 12.5 फीसदी, 2050 तक 19.4 फीसदी और सदी के अंत तक ये 36 फीसदी तक पहुंच जाएगी।

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भारत की फर्टिलिटी रेट?
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के मुताबिक, भारत में हर महिला औसतन दो या उससे ज्यादा बच्चे को जन्म देती है। हालांकि, इनमें से कई बच्चे ऐसे हैं जो 18 साल तक जीवित नहीं रहते। वहीं कुछ महिलाएं बच्चे पैदा नहीं कर पातीं।फिलहाल नेशनल लेवल पर 2.1 फर्टिलिटी रेट होना चिंताजनक नहीं है। यह इस बात का संकेत देता है कि एक जेनरेशन दूसरी जेनरेशन को बदल सकती है। यदि किसी देश का टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) लंबे समय तक 2.1 से नीचे गिरती है, तो यह आम तौर पर जनसंख्या में गिरावट का संकेत देता है।

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