Ajmer Sharif Dargah: क्या है अजमेर शरीफ दरगाह विवाद? पूर्व सीएम ने उठाए PM मोदी पर सवाल

अजमेर दरगाह के हिंदू मंदिर होने का दावा दिल्ली के रहने वाले हिंदू राष्ट्र सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने की है। विष्णु गुप्ता के वकील ईश्वर सिंह और रामस्वरूप बिश्नोई द्वारा दरगाह कमेटी के कथित अनाधिकृत कब्जा हटाने संबंधी याचिका दायर की गई थी।

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अजमेर शरीफ दरगाह (Ajmer Sharif Dargah) को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका कोर्ट में स्वीकार कर ली गई है। अजमेर की निचली अदालत ने सभी पक्षकारों को नोटिस करते हुए 20 दिसंबर को मामले में अगली सुनवाई की तारीख तय हुई है। ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने के दावे को मंजूरी मिलने के बाद से ही बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है।

राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने अजमेर दरगाह परिसर में शिव मं​दिर ​होने के दावे से उठे विवाद को लेकर बीजेपी, आरएसएस और पीएम नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने कहा- 15 अगस्त 1947 तक बने जो भी धार्मिक स्थान जिस स्थिति में हैं, वे उसी में रहेंगे, यह कानून बना हुआ है। उन पर सवाल उठाना गलत है।

गहलोत ने ये भी कहा- अजमेर दरगाह 800 साल पुरानी है। दुनियाभर से लोग यहां आते हैं। दुनिया के मुल्कों के मुस्लिम भी आते हैं, हिंदू भी आते हैं। प्रधानमंत्री कोई भी हो, कांग्रेस, बीजेपी या किसी दल के हों, पंडित नेहरू के जमाने से मोदी जी तक तमाम प्रधानमंत्री की तरफ से दरगाह में चादर चढ़ती है। चादर चढ़ाने के अपने मायने होते हैं। आप चादर भी चढ़ा रहे हैं और आपकी पार्टी के लोग कोर्ट में केस भी कर रहे हैं। आप भ्रम पैदा कर रहे हैं तो लोग क्या सोच रहे होंगे?

धर्मस्थलों पर सवाल उठाना गलत
पूर्व सीएम ने कहा- जहां तक मुझे जानकारी है, धार्मिक स्थान किसी भी धर्म के हों, 15 अगस्त 1947 तक जो बने हुए हैं, उस पर सवाल नहीं होना चाहिए, इसका कानून बना हुआ है। जब से आरएसएस, बीजेपी सरकार आई है, आप देख रहे हो, देश में धर्म के नाम पर राजनीति चल रही है।

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चुनाव चाहे महाराष्ट्र का हो, चाहे हरियाणा का हो, चाहे पार्लियामेंट का हो, सारे चुनाव ध्रुवीकरण के आधार पर जीते जा रहे हैं। खुलकर धर्म के आधार पर ये लोग टिकट बांट रहे हैं। देश में स्थिति तो बड़ी विकट है। यह स्थिति आसान नहीं है। यह तो इनको खुद को देखने की बात है, जो आज शासन में हैं।

मूलभूत मुद्दों से दूर भागती सरकार
गहलोत ने कहा- शासनकर्ता की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है। सत्ता में जो हैं, उनकी जिम्मेदारी होती है कि विपक्ष को साथ लेकर चलें, विपक्ष की भावना का आदर करें, जो कि ये नहीं कर रहे हैं। पक्ष और विपक्ष में दूरियां बढ़ती जा रही हैं, वह अपनी जगह है। आगे बोले- जब 15 अगस्त 1947 की स्थिति में संसद में कानून पास हो गया, उसके बावजूद मंदिर दरगाह में क्या था, पहले क्या था उसी में फंसे रहेंगे तो देश के मूल मुद्दों का क्या होगा? मूल मुद्दे क्या हैं, यह ज्यादा महत्व रखता है? महंगाई, बेरोजगारी, विकास का मुद्दा है, अर्थव्यवस्था का है, सामाजिक न्याय और सामाजिक व्यवस्थाओं का मुद्दा है।

क्या है मामला?
अजमेर दरगाह के हिंदू मंदिर होने का दावा दिल्ली के रहने वाले हिंदू राष्ट्र सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने की है। विष्णु गुप्ता के वकील ईश्वर सिंह और रामस्वरूप बिश्नोई द्वारा दरगाह कमेटी के कथित अनाधिकृत कब्जा हटाने संबंधी याचिका दायर की गई थी। जिस पर अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने मामले को सुनवाई योग्य माना और पक्षकारों को नोटिस करते हुए 20 दिसंबर को अगली तारीख तय की। याचिकाकर्ता ने अजमेर निवासी पूर्व जज हर बिलास सारदा की किताब ‘अजमेरः ऐतिहासिक और वर्णनात्मक’ का हवाला अपनी याचिका में दिया है।

यह किताब 1911 में लिखी गई है। इस किताब के आधार पर दावा किया गया है कि दरगाह की जमीन पर पहले शिव मंदिर था, वहां पूजा पाठ और जलाभिषेक किया जाता रहा है। इसके अलावा दरगाह परिसर में एक जैन मंदिर होने के बारे में भी दावा किया गया है।

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