अफगानिस्तान में सिख-हिंदू समुदाय के काफिले पर आत्मघाती हमला, 19 की मौत

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अफगानिस्तान के जलालाबाद में रविवार को सिखाें और हिंदुओं के एक जत्थे पर आत्मघाती हमला हुआ। हमले में 19 लोगों की मौत हो गई। इनमें 11 सिख और 6 हिंदू थे। 20 जख्मी हुए हैं। ये लोग राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलने गवर्नर हाउस जा रहे थे।

इस घटना पर नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर निंदा प्रकट की। उन्होंने लिखा ये अफगानिस्तान की विविधतापूर्ण संस्कृति पर हमला है। मृतकों के परिवार के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। मैं घायलों के जल्दी ठीक होने की कामना करता हूं। दुख की इस घड़ी में भारत अफगानिस्तान के साथ है।”

अस्पताल में भर्ती नरेंद्र सिंह नाम के शख्स ने फोन पर न्यूज एजेंसी को बताया कि उनके काफिले को निशाना बनाया गया था। नरेंद्र फोन पर ही रोने लगे। उन्होंने कहा कि काफिले में उनके पिता अवतार सिंह खालसा भी थे। पता नहीं, उनका क्या हुआ। सरकार ने अवतार की मौत की पुष्टि की। खालसा लंबे वक्त से सिख नेता थे और अक्टूबर में होने वाला चुनाव लड़ना चाहते थे।

प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता अतातुल्लाह खोग्यानी ने बताया कि धमाका इतना तेज था कि इससे आसपास मौजूद कई इमारतों और दुकानों को नुकसान पहुंचा। धमाके से कुछ ही घंटों पहले गनी ने शहर में एक अस्पताल का उद्घाटन किया था।

11 मृतकों के नाम:
अनूप सिंह, मेहर सिंह, रवैल सिंह, अवतार सिंह, अमरीक सिंह, मंजीत सिंह, इंद्रजीत सिंह, तरनजीत सिंह, बलजीत सिंह, सतनाम सिंह, राजू गजनेची।

अल्पसंख्यकों को बनाया जाता है निशाना: अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन तालिबान और आईएसआईएस से जुड़े संगठन नंगरहार में सक्रिय हो गए हैं। इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा लंबे वक्त से अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। 1970 के दशक में अफगानिस्तान में हिंदू-सिख समुदाय के लोगों की संख्या 80 हजार से ज्यादा थी, जो अब घटकर महज एक हजार रह गई है। 1990 के दशक में तालिबान के शासन के समय अल्पसंख्यकों से कहा गया कि वे पहचान के लिए कलाई पर पीला बैंड पहने। बीते कुछ सालों में अफगानिस्तान के हिंदू-सिख समुदाय के लोगों ने भारत में शरण मांगी है।

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