2018 देश की न्यायायिक व्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा। यह साल सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लिए गए कई लंबित मामलों पर कड़े और ऐतिहासिक फैसलों के लिए याद किया जाएगा। ऐसे कई और मामले है जिनपर फैसला आना अभी बाकी है लेकिन जिन फैसलों से न्यायिक व्यवस्था मजबूत हुई वो इस प्रकार है…
दिल्ली विवाद-
दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 4 जुलाई को फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलजी की मनमानी नहीं चलेगी और हर मामले में फैसले से पहले एलजी की सहमति की जरूरत नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि दिल्ली के असली बॉस एलजी नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार ही है।
आधार वैध-
आधार कार्ड की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को फैसला सुनाया और कुछ शर्तों के साथ आधार को वैध करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि स्कूलों में दाखिले के लिए आधार को अनिवार्य बनाना जरूरी नहीं है। कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि कोई भी मोबाइल कंपनी आधार कार्ड की डिमांड नहीं कर सकती है।
व्यभिचार कानून हुआ खत्म-
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 के अंत में एक याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया, जिसमें एडल्टरी यानी व्यभिचार से जुड़े विवादित कानून की सुनवाई हुई। 27 सितंबर को व्यभिचार के लिए दंड का प्रावधान करने वाली धारा को सर्वसम्मति से असंवैधानिक घोषित किया था।
समलैंगिकता अपराध नहीं-
सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जो भी जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए। न्यायपीठ ने माना समलैंगिक लोगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है. संवैधानिक पीठ ने माना कि समलैंगिकता अपराध नहीं है और इसे लेकर लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी।
कावेरी जल विवाद-
कावेरी जल विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि नदी के पानी पर किसी भी स्टेट का मालिकाना हक नहीं है।
सबरीमाला मंदिर-
इसी साल केरल के सबरीमाला मंदिर में औरतों के प्रवेश पर फैसला आ चुका है। अब हर उम्र की महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। लेकिन लोगों ने इसका जमकर विरोध किया जिस कारण अभी तक कोई भी महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई है।
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला-
यह मामला अभी कोर्ट में जिसपर जल्द फैसला आना है।