नई दिल्ली: चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म’ (एडीआर) द्वारा लोकसभा चुनाव परिणाम की शनिवार को जारी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, आपराधिक मामलों में फंसे सांसदों की संख्या दस साल में 44 प्रतिशत बढ़ी है। करोड़पति सांसदों की संख्या 2009 में 58 प्रतिशत थी जो 2019 में 88 प्रतिशत हो गई।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, 17वीं लोकसभा के लिए चुन कर आए 542 सांसदों में 233 (43 प्रतिशत) सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित है। इनमें से 159 (29 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। ये ही नहीं राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय 25 राजनीतिक दलों में छह दलों (लगभग एक चौथाई) के शत प्रतिशत सदस्यों ने उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दी है।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछली तीन लोकसभा में आपराधिक मुकदमों से घिरे सांसदों की संख्या में 44 प्रतिशत इजाफा हुआ है। 2009 के लोकसभा चुनाव में आपराधिक मुकदमे वाले 162 सांसद (30 प्रतिशत) चुनकर आए थे, जबकि 2014 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 185 (34 प्रतिशत) थी।
एडीआर ने नवनिर्वाचित 542 सांसदों में 539 सांसदों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर बताया कि इनमें से 159 सांसदों (29 प्रतिशत) के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं।
बिहार और केरल के सबसे ज्यादा मामले
रिपोर्ट में नवनिर्वाचित सांसदों के आपराधिक रिकॉर्ड के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि आपराधिक मामलों में फंसे सर्वाधिक सांसद केरल और बिहार से चुन कर आए हैं। केरल से निर्वाचित 90 फीसदी और बिहार के 82 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं।
इस मामले में पश्चिम बंगाल से 55 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश से 56 और महाराष्ट्र से 58 प्रतिशत नवनिर्वाचित सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित है। वहीं सबसे कम नौ प्रतिशत सांसद छत्तीसगढ़ के और 15 प्रतिशत गुजरात के हैं।
इस नेता पर है सबसे ज्यादा लंबित मामले-
नए सांसदों में कांग्रेस के डीन कुरियाकोस सबसे ज्यादा लंबित आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। केरल के इडुक्की लोकसभा क्षेत्र से चुनकर आए एडवोकेट कुरियाकोस ने अपने हलफलनामे में बताया है कि उनके खिलाफ 204 आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें गैर इरादतन हत्या, लूट, किसी घर में जबरन घुसना और अपराध के लिए किसी को उकसाने जैसे मामले शामिल हैं।
प्रज्ञा ठाकुर का भी नाम
आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सर्वाधिक सांसद भाजपा के टिकट पर चुन कर आए. रिपोर्ट में भाजपा के 303 में से 301 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित 116 सांसदों (39 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं।वहीं, कांग्रेस के 52 में से 29 सांसद (57 प्रतिशत) आपराधिक मामलों में घिरे हैं।
इनके अलावा बसपा के आधे (10 में से पांच), जदयू के 16 में से 13 (81 प्रतिशत) , तृणमूल कांग्रेस के 22 में से नौ (41 प्रतिशत) और माकपा के तीन में से दो सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। इस मामले में बीजद के 12 निर्वाचित सांसदों में सिर्फ एक सदस्य ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले की हलफनामे में घोषणा की है।
सबसे ज्यादा करोड़पति सांसद
इसी प्रकार 17वीं लोकसभा के 88 प्रतिशत सदस्य करोड़पति हैं। भाजपा के 88 प्रतिशत, कांग्रेस के 84 प्रतिशत, द्रमुक के 96 प्रतिशत और तृणमूल कांग्रेस के 91 प्रतिशत करोड़पति उम्मीदवार सांसद बनने में कामयाब रहे। इनके अलावा भाजपा के सहयोगी दल लोजपा और शिवसेना के सभी सांसद करोडपति है। शत प्रतिशत करोड़पति सांसदों वाले दलों में सपा, बसपा, तेदेपा, टीआरएस, आप, एआईएमआईएम और नेशनल कांफ्रेंस भी शामिल हैं।
राज्यों के लिहाज से देखा जाये तो पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश सहित 15 राज्यों एवं केन्द्र शासित राज्यों के निर्वाचित सभी सांसद करोड़पति हैं। ओडिशा से सबसे कम (67 प्रतिशत) करोड़पति सांसद चुने गए। रिपोर्ट के मुताबिक, 17वीं लोकसभा के लिए चुने गए सांसदों की औसत संपत्ति की कुल कीमत 20.93 करोड़ रुपये आंकी गई है। सर्वाधिक धनी सांसद के रूप में कांग्रेस के नकुल नाथ हैं और जी माधवी सबसे कम संपत्ति वाली सांसद हैं।
ये आंकड़े भी जानें
17वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों में 24 प्रतिशत (128) सदस्य 12वीं तक पढ़े हैं, जबकि 392 (73 प्रतिशत) सदस्य स्नातक हैं। एक सदस्य ने खुद को महज साक्षर तो एक अन्य ने खुद को निरक्षर बताया है। नए सदस्यों में 194 (36 प्रतिशत) की उम्र 25 से 50 साल है। वहीं 343 (64 प्रतिशत) सदस्य 51 से 80 साल की उम्र के हैं। दो सदस्य 80 साल से अधिक उम्र के हैं।
पिछली लोकसभा में गंभीर आपराधिक मामलों के मुकदमों में घिरे सदस्यों की संख्या 112 (21 प्रतिशत) थी, वहीं 2009 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 76 (14 प्रतिशत) थी। स्पष्ट है कि पिछले तीन चुनाव में गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या में 109 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।