SC का राजनीतिक दलों को आदेश, बताना होगा, क्यों दिया दागियों को टिकट?

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नई दिल्ली: राजनीति में आपराधिक छवि के लोगों की बढ़ती हिस्सेदारी पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अदालत ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइट पर सभी उम्मीदवारों की जानकारी साझा करें।

इसमें उम्मीदवार पर दर्ज सभी आपराधिक केस, ट्रायल और उम्मीदवार के चयन का कारण भी बताना होगा। यानी राजनीतिक दलों को ये भी बताना होगा कि आखिर उन्होंने एक क्रिमिनल को उम्मीदवार क्यों बनाया है। कई याचिकाकर्ताओं में से बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वह राजनीतिक दलों पर दबाव डाले कि राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को टिकट न दें।

ऐसा होने पर आयोग राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई करे। इस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर पार्टियों की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी को टिकट देती हैं।

कोर्ट ने कहा, ‘अगर राजनीतिक पार्टियां क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले शख्स को चुनावी टिकट देती है, तो पार्टियां इसकी वजह भी बताएगी। राजनीतिक दलों को ये बताना होगा कि आखिर वह क्यों किसी बेदाग प्रत्याशी को चुनाव का टिकट न दे पाई?’

अदालत के फैसले के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों को उम्मीदवार घोषित करने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी देनी होगी। साथ ही घोषित किए गए उम्मीदवार की जानकारी को स्थानीय अखबारों और टीवी चैनलों को भी देनी होगी।

दागियों की योग्यता चुनाव आयोग को देनी होगी-

अदालत ने पार्टियों को ये भी आदेश दिया कि पार्टी अगर किसी दागी को टिकट देती है, तो उसकी योग्यता, उपलब्धियों और मेरिट की जानकारी 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को देनी होगी। कोई पार्टी अगर इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करती है तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग कानून के तहत कार्रवाई करेगा।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति के अपराधीकरण को खत्म करने के लिए चुनाव आयोग को एक हफ्ते में फ्रेमवर्क तैयार करने का निर्देश दिया था। जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस रवींद्र भट की बेंच ने आयोग से कहा था, ‘राजनीति में अपराध के वर्चस्व को खत्म करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार किया जाए।’

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