मध्य प्रदेश: इंदौर में अस्पताल की लापरवाही का सनसनीखेज मामला सामने आया है। दरअसल, इंदौर आई अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने आए 11 मरीजों की आंख की रोशनी चली गई है। बताया जा रहा है कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए इंदौर आंख अस्पताल में 8 अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत एक शिविर लगाया गया था, जिसमें मरीजों के ऑपरेशन हुए।
इसके बाद आंख में दवा डाली गई, जिससे उन्हें संक्रमण हुआ और धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी ठीक होने की बजाय चली गई। मरीजों ने आंखों में इंफेक्शन होने की बात कही, डॉक्टरों द्वारा आंखें चेक करने पर कई मरीजों ने बताया कि उन्हें सिर्फ काली छाया दिखाई दे रही है। इसका कारण अभी डॉक्टर नहीं बता पाए हैं।
ANI की खबर के मुताबिक, यह मामला जब स्वास्थ्य विभाग को मालूम चला तो स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल की ओटी को सील कर दिया है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने जांच के आदेश भी दे दिए हैं। इस मामले की जांच इंदौर कमिश्नर की अगुवाई में सात सदस्यीय कमेटी करेगी, जिसमें इंदौर कलेक्टर समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल हैं। इस जांच रिपोर्ट को 72 घंटे के भीतर सब्मिट करना होगा।
Indore: 11 patients lose their eye sight after undergoing operation for cataract at Indore Eye Hospital. CMHO Dr Pravin Jadia says, “treatment of 11 patients has begun. We’ll investigate the cause. Administration has ordered to submit a report in 72 hours.” #MadhyaPradesh pic.twitter.com/6UqS8ZR832
— ANI (@ANI) August 17, 2019
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने बताया कि मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने के साथ ही पीड़ित परिवार को 20 हजार रुपये की तत्काल मदद दी जाएगी।
MP Health Min: Patients to be given best treatment. I’ve ordered to cancel the license of the hospital. Patients to be provided compensation of Rs 20,000. FIR to be registered against those found guilty of negligence. 7-member committee has been formed to investigate the matter pic.twitter.com/1vzxiieEcZ
— ANI (@ANI) August 17, 2019
हैरानी की बात ये है कि इस अस्पताल से ये पहला मामला नहीं ऐसा साल 2010 में भी हुआ था। जब मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद करीब 20 लोगों की आंख की रोशनी चली गई थी। इस बार फिर अस्पताल में कैंप लगाया गया और उसके बाद उनकी आंखों में इंफेक्शन हो गया और मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई। तब भी डॉक्टर इस का कारण बताने में असफल रहे थे।
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