जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बड़े आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सीसीएस की बैठक खत्म होने के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता को रोक दिया गया है। साथ ही, 48 घंटे में पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। वहीं, पाकिस्तान का वीजा रद्द किया गया है। अटारी बॉर्डर को भी बंद करने का फैसला लिया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं, क्या है सिंधु जल समझौता?
सिंधु जल संधि:
19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच 6 नदियों का पानी बांटने को लेकर एक समझौता हुआ था, जिसे सिंधु जल संधि कहते हैं। समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) का इस्तेमाल करने की परमिशन दी गई।
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समझौते का मकसद:
सिंधु जल समझौते का मकसद था कि दोनों देशों में जल को लेकर कोई संघर्ष न हो और खेती करने में बाधा न आए। हालांकि भारत ने हमेशा इस संधि का सम्मान किया, जबकि पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने के आरोप लगातार लगते रहे हैं। भारत के पाकिस्तान से तीन युद्ध हो चुके हैं, लेकिन भारत ने कभी भी पानी नहीं रोका था, लेकिन पाकिस्तान हर बार भारत में आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार होता है।
पाकिस्तान में अब पानी का संकट होगा:
पाकिस्तान की 80% खेती सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर निर्भर है। अब भारत की तरफ से इन नदियों का पानी रोक देने से पाकिस्तान में जल संकट गहराएगा। वहां की आर्थिक स्थिति बिगड़ेगी। इसके अलावा पाकिस्तान कई डैम और हाइड्रो प्रोजेक्ट्स से बिजली बनाता है। पानी की कमी से बिजली उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जिससे आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।
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