सुना भी होगा और देखा भी कि माता-पिता अपने बच्चे के खुशी के लिए कुछ भी कर सकते है। लेकिन इस दुनिया में कुछ मां-बाप ऐसे भी है जो अपने बच्चों को दो वक्त की रोटी देने में भी असमर्थ है। उनके सामने कई तरह की चुनौतियां रहती है। ऐसी ही एक कहानी एक फोटोग्राफर ने फेसबुक के जरिए शेयर की। जो अब वायरल हो रही है। ये कहानी है एक सफाई कर्मचारी की है। जिसकी तीन बेटियां है। और वो उनकी खुशी के लिए कभी उन्हें मालूम नहीं होने देता कि वो क्या काम करता है।
लेकिन फिर एक दिन ऐसा कुछ घटा कि उसने अपनी बेटियों के सामने सब कुछ साफ कर दिया। यह कहानी पढ़कर आपको महसूस होगा कि भारत में कितने सारे लोग गरीबी में जी रहे हैं। ये ऐसे लोग हैं जो अपने बच्चों को पढ़ाना तो चाहते हैं लेकिन वो अपने हालात से मजबूर हैं।
फोटोग्राफर ने आगे लिखा वो व्यक्ति कहता हैं कि “मैंने अपनी बच्चियों को कभी यह नहीं बताया कि मेरा असली काम क्या है। जब भी मेरी सबसे छोटी बेटी मुझसे पूछती कि पापा आप क्या काम करते हैं तो मैं फट से कह देता कि मैं एक मजदूर हूं। मैं यह नहीं चाहता था कि जिस तरह से लोग मुझे देखते हैं उसी तरह से मेरी बेटियों को भी देखें। मैं चाहता था कि वो समाज में अपना सिर ऊंचा करके खड़ी हो सकें। लोगों ने मुझे हमेशा बेइज्जत किया। यही वजह थी कि मैं शाम को घर जाने से पहले पब्लिक टॉयलेट में नहाया करता था जिससे मेरे बच्चों को मेरे काम की भनक तक न लग सके।
मैंने अपनी बच्चियों की पढ़ाई को हमेशा ध्यान में रखा। मैं उन्हें पढ़ा लिखाकर उन्हें उनके पैरों पर खड़ा करवाना चाहता था। मैंने अपनी कमाई का एक-एक हिस्सा उनकी पढ़ाई पर खर्च कर दिया। मैंने कभी कोई नई शर्ट नहीं खरीदी। मैं चाहता था कि वो कुछ बनकर मेरे लिए कमाएं। लेकिन जब मेरी बेटी कॉलेज में दाखिला लेने वाली थी उसके एक दिन पहले मैं उसकी फीस के लिए मैं पैसे इकठ्ठा नहीं कर पाया।”
“मैं उस पूरे दिन काम नहीं कर पाया। मैं सोच रहा था कि घर जाकर मैं अपनी बेटी को क्या जवाब दूंगा। मैं कूड़े के ढेर के बगल में बैठा अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रहा था। मेरा कोई साथी मुझसे बात करने नहीं आया। फिर उस शाम मेरे साथी कर्मचारियों ने अपनी उस दिन की कमाई मेरे हाथ में लाकर रख दी। मेरे मना करने पर उन्होंने कहा कि वो एक दिन भूखे सो जाएंगे लेकिन उनकी बेटी का पढ़ना सबसे जरूरी है। उस दिन मैं बिना नहाए उसी स्थिति में घर गया और अपनी बेटियों को सारी हकीकत बता दी।
आज मेरी तीनों बेटियां पढ़ती भी हैं और मेरे लिए कमा भी रही हैं। वो नहीं चाहतीं कि मैं काम करूं। मेरी बेटी अक्सर मेरे उन साथियों को खाना खिलाती है। जब वो पूछते हैं कि तुम ऐसा क्यों करती हो तो वो कहती है कि आप लोग एक दिन मेरे लिए भूखे रहे और उस वजह से ही आज मैं इस मुकाम पर हूं। मैं आपका यह एहसान कभी नहीं चुका पाउंगी।”
अंत में वह कहते है मैं चाहता तो वक्त से पहले अपनी बेटियों की शादी कर सकता था या उनसे काम करवा सकता था लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। मैं समाज को बताना चाहता था कि बेटियां बोझ नहीं, उन्हें पढ़ाओं लिखाओं। वो एक दिन जरूर कामयाब होगी। उनसे परेशान होने की जरूरत नहीं।
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