Bhutadi Amavasya: क्या भूतड़ी अमावस्या का सच में भूतों से है कोई संबंध? इस दिन भूलकर भी न करें ये 4 काम

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भूतड़ी अमावस्या, (Bhutadi Amavasya) जिसे चैत्र अमावस्या भी कहा जाता है, इस वर्ष 29 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। भूतड़ी अमावस्या का नाम सुनकर ऐसा लगता है कि इसका संबंध भूत-प्रेतों से होगा, लेकिन वास्तव में यह एक धार्मिक और पौराणिक महत्व रखने वाला दिन है। इसे खासतौर पर राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में मनाया जाता है।

पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 28 मार्च 2025 को रात 7 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 29 मार्च 2025 की शाम 4 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, 29 मार्च को यह अमावस्या मनाई जाएगी।

इस दिन विशेष रूप से पितरों की शांति के लिए तर्पण, दान-पुण्य और हवन जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। साथ ही, नकारात्मक शक्तियों से बचाव के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, पवित्र नदियों में स्नान, और शिवलिंग का अभिषेक करना शुभ माना जाता है। यह दिन आत्मिक शुद्धि और मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण है।

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क्या भूतों से है कोई संबंध?
हाँ, मान्यताओं के अनुसार इस दिन अकाल मृत्यु प्राप्त आत्माएँ (जिन्हें मोक्ष नहीं मिला) भटकती रहती हैं। इसलिए, लोग इस दिन विशेष रूप से पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, दान-पुण्य और हवन करते हैं।

भूतड़ी अमावस्या से जुड़ी मान्यताएँ:

  1. अकाल मृत्यु वाले पितरों की शांति – इस दिन खासतौर पर उन आत्माओं की शांति के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं, जिन्हें सही समय पर श्राद्ध नहीं मिला।
  2. नकारात्मक शक्तियाँ अधिक सक्रिय रहती हैं – कुछ लोगों का मानना है कि इस दिन भूत-प्रेतों की शक्तियाँ अधिक प्रभावी होती हैं, इसलिए लोग मंदिरों और पवित्र स्थानों में जाकर पूजा करते हैं।
  3. गायों को भोजन कराने की परंपरा – यह माना जाता है कि इस दिन गायों को भोजन कराने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
  4. पवित्र नदियों में स्नान – इस दिन गंगा, नर्मदा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है।

भूतड़ी अमावस्या पर क्या न करें

  • इस दिन बाल धोना, नाखून-बाल या दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए।
  • अमावस्या पर तामसिक भोजन न करें, नशे से दूर रहें।
  • भूतड़ी अमावस्या पर रास्ते में किसी भी अनजान चीजों को हाथ या पैर न लगाएं।
  • कमजोर इच्छाशक्ति वाले सुनसान जगह पर न जाएं।

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