हनुमानगढ़। अमेरिका से भारतीय नागरिकों को अमानवीय तरीके से भारत भेजने की शर्मनाक घटना के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की खामोशी के खिलाफ कांग्रेसजनों ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुतला दहन कर विरोध दर्ज कराया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के निर्देशानुसार पुतला दहन व विरोध-प्रदर्शन का कार्यक्रम जंक्शन स्थित शहीद भगतसिंह चौक पर डीसीसी अध्यक्ष सुरेन्द्र दादरी की अगुवाई में हुआ। इस मौके पर डीसीसी अध्यक्ष सुरेन्द्र दादरी ने कहा कि भाजपा सरकार की नाकामी ने भारत के युवाओं को बेरोजगारी के दलदल में धकेल दिया है। हर साल 2 करोड़ नौकरियों का वादा करने वाली सरकार ने सिर्फ जुमले और जालसाजी दी, रोजगार नहीं। अमृतकाल और आत्मनिर्भर भारत के खोखले वादों के बीच, सच्चाई यह है कि लाखों युवा रोजगार की तलाश में विदेश जाने के लिए मजबूर हैं। अच्छे दिन की जगह सिर्फ महंगाई, बेरोजगारी और खोखले वादे मिले। उन्होंने कहा कि अपनी जमीनें, गहने और घर बेचकर एक बेहतर जीवन की तलाश में हजारों भारतीय नागरिक अमेरिका गए। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों को रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग खड़ी हुई।
उन्हीं भारतीयों को हाथ में हथकड़ी और पांव में जंजीरें डालकर एक माल लादने वाले जहाज से वापस भेजा गया। 40 घंटे तक उन लोगों को शौचालय जाने की इजाजत नहीं दी गई। 40 घंटे तक अमेरिका के सैनिक उनके ऊपर हथियार ताने रहे। इस पूरे मामले में नरेन्द्र मोदी खामोश हैं। नरेन्द्र मोदी ने जिनके लिए 100 करोड़ रुपए खर्च कर नमस्ते ट्रंप किया था, वही हमारे देशवासियों के साथ ऐसा दुव्र्यवहार कर रहे हैं। ये बेहद ही शर्मनाक है। इस तरह का व्यवहार उनकी गरिमा का घोर उल्लंघन है और हमारे राष्ट्र की छवि को धूमिल करता है। हमारी सरकार नियमों और संधियों का हवाला देकर अमेरिकी शासन के इस अमानवीय आचरण पर खामोश है।
उन्होंने कहा कि यह संकट अवैध प्रवास को रोकने के लिए मजबूत नीतियों की तत्काल आवश्यकता को उजागर करता है। साथ ही विदेशों में रोजगार के लिए सुरक्षित और कानूनी रास्ते सुनिश्चित करता है। हमें मानव तस्करी के नेटवर्क को खत्म करना चाहिए, निर्वासितों के पुन: एकीकरण के लिए व्यापक समर्थन प्रदान करना चाहिए और अपने लोगों की सुरक्षा के लिए पारदर्शी प्रवासन ढांचे की स्थापना करनी चाहिए। जिला प्रमुख कविता मेघवाल ने कहा कि 5.2 करोड़ आबादी का कोलंबिया अगर अपने नागरिकों को दासों की तरह अमेरिकी सैन्य जहाज में लाने की कार्रवाई को रिजेक्ट कर सकता है तो 144 करोड़ वाले भारत की सरकार क्यों नहीं कर सकी। अमेरिका से 104 भारतीय अमानवीय यातना झेलते हुए यहां भेजे गए। क्या हमारी सरकार इनके लिए जहाज नहीं भेज सकती थी? उन्होंने कहा कि पता नहीं इन हजारों में कितने लोग अमेरिका में अवैध घुसपैठिए हैं और कितने सही पेपर के साथ वहां कामकाज करने वाले लोग हैं। पर यह सच है कि कई हजार भारतीय अमेरिका में अवैध रूप से घुसे हैं या उनके पेपर्स पर्याप्त नहीं हैं।
ऐसे अवैध घुसपैठियों में भी कोई आतंकी या अमेरिका-विरोधी षड्यंत्रकारी नहीं है। ये लोग गुजरात, पंजाब, यूपी या हरियाणा से वहां अच्छी जिंदगी की तलाश में गए। ऐसे लोगों को अमेरिका डिपोर्ट करना चाहे कर सकता है पर भारत भेजते समय इनके साथ वह ऐसा अमानवीय बर्ताव और क्रूरता न करे। पीसीसी सचिव मनीष मक्कासर व पीसीसी सदस्य भूपेन्द्र चौधरी ने कहा कि इन खतरनाक घटनाओं के बावजूद, भाजपा की केन्द्र सरकार उदासीन और असहाय बनी हुई है। हमारे नागरिकों के लिए खड़े होने और मानवीय व्यवहार की मांग करने के बजाय, सरकार शर्मनाक तरीके से इन कार्यों को उचित ठहरा रही है। वैश्विक मंच पर हमारे नागरिकों की गरिमा और अधिकारों की रक्षा करने में विफलता, कर्तव्य का एक अक्षम्य परित्याग है, जो सरकार की अपने लोगों के प्रति साहस और प्रतिबद्धता की कमी को उजागर करता है।
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