सर्व समाज की बैठक, एकता की अपील

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हनुमानगढ़, जंक्शन की प्रजापति कुम्हार धर्मशाला में सर्व समाज की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि एकत्रित हुए और एक सुर में यह आरोप लगाया कि जाट समाज के कुछ लोग सर्व समाज का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। यह बैठक एक सामूहिक प्रयास थी, जिसका उद्देश्य समाज में समरसता बनाए रखना और जातिवाद की राजनीति को रोकना था।
बैठक में विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इनमें सुमित रणवां (जाट समाज), संत प्रकाशनाथ उर्फ रामप्रताप (सामाजिक समरसता न्याय मंच), मनोज सैनी, सुरेन्द्र सैनी (सैनी समाज), हरदीप सिंह, पाल सिंह (सिख समाज), अब्दुल हाफिज (मुस्लिम समाज), मनीराम कारगवाल, मोहनलाल डाल  (कुम्हार समाज), कृष्ण गहलोत, गजेन्द्र सैन विजय कृष्ण जाखड़    (सैन समाज), निरंजन नायक (नायक समाज), मुकेश भार्गव (भार्गव समाज), संतराम जिन्दल इन्द्रजीत जी (अग्रवाल समाज), सिंगाराम भाट (भाट समाज), प्रमोद सोनी, जैकी सोनी (सोनी समाज), पुनीत अरोड़ा (अरोड़ा समाज), तरसेम सिंह, हरबंस औलख (मजहबी सिख समाज) जैसे प्रमुख प्रतिनिधि शामिल थे।
बैठक में सर्व समाज के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर यह कहा कि जाट समाज के कुछ लोग ओछी राजनीति कर रहे हैं और जातिवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। उनका आरोप था कि हाल ही में विधायक गणेशराज बंसल ने जो बयान दिया था, वह केवल मूल ओबीसी वर्ग की पीड़ा को व्यक्त करने के लिए था। लेकिन कुछ लोगों ने इसे अपनी राजनीति के लिए गलत तरीके से पेश किया। उनका कहना था कि अब हनुमानगढ़ में अग्रवाल समाज के एक व्यक्ति के विधायक बनने से कुछ लोगों को परेशानी हो रही है। ये लोग चाहते हैं कि केवल जाट समाज का व्यक्ति ही विधायक बने और अन्य समाजों को अपनी जगह न मिले।
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि मूल ओबीसी वर्ग के लोग पिछले 25 वर्षों से अपनी समस्याओं और पीड़ाओं को दोनों विधायकों के समक्ष रख रहे थे, लेकिन किसी विधायक ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया। हनुमानगढ़ में यह पहली बार हुआ है कि एक विधायक ने मूल ओबीसी के हक की बात की है। इसके बाद कुछ लोग जो जातिवाद की राजनीति करते हैं, उन्हें यह बात बुरी लग रही है। इस बीच, एक सोशल मीडिया पोस्ट का भी उल्लेख किया गया, जिसमें कहा गया था कि “जाट अगर अनाज नहीं देगा तो मूल ओबीसी गोबर खाएगी क्या?” इस तरह के बयान से सर्व समाज के लोग आहत हुए और उन्होंने इसे समाज में फूट डालने की कोशिश बताया।
सर्व समाज के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर यह निर्णय लिया कि अगर प्रशासन ने इस प्रकार के जातिवादी नेताओं पर कार्रवाई नहीं की, तो सर्व समाज एकजुट होकर महासभा करेगा और अपनी एकता को प्रदर्शित करेगा। इस महासभा के माध्यम से वे यह संदेश देना चाहते थे कि हनुमानगढ़ जैसे शांतिपूर्ण जिले का माहौल बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। उनका कहना था कि यह सिर्फ राजनीति का मुद्दा नहीं, बल्कि समाज की एकता और भाईचारे का सवाल है।

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