हनुमानगढ़। राजस्थान पटवार संघ द्वारा अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना नौवें दिन भी जारी रहा। धरने के इस नौवें दिन पटवारियों और कानूनगों ने सरकार की सद्धबुद्धि के लिए एक सद्धबुद्धि यज्ञ का आयोजन किया। इस अवसर पर पटवार संघ के जिलाध्यक्ष अमर सिंह दहिया, तहसील अध्यक्ष अनिल सहू और कानूनगों संघ के जिलाध्यक्ष चन्द्रभान ज्याणी के नेतृत्व में पटवारी और कानूनगो एकजुट हुए। पटवार संघ ने सरकार से अपनी मांगों को शीघ्र स्वीकार करने की अपील की है। संघ का कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर गौर नहीं किया और उनका समाधान नहीं किया तो वे आने वाले समय में आंदोलन को उग्र रूप देने की चेतावनी दे रहे हैं। यज्ञ में भाग लेने वाले पटवारियों ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की ओर से सुनवाई नहीं होने पर उनकी लड़ाई और अधिक सख्त हो सकती है। इस धरने में पटवारियों और कानूनगों ने अपने पेशेवर और सामाजिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया। पटवार संघ ने अपनी 10 सूत्री मांगों में मुख्यत: वेतन वृद्धि, प्रमोशन, पदोन्नति, संवर्ग वर्धन, नौकरी में स्थिरता, और अन्य भत्तों की बढ़ोतरी की मांग की है। इसके अलावा, संघ ने राज्य सरकार से यह भी मांग की है कि उन्हें उचित कार्य वातावरण प्रदान किया जाए और उनके कार्यों का सम्मान बढ़ाया जाए। पटवार संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनके अधिकारों की अनदेखी करती है तो वे प्रदेशभर में उग्र आंदोलन की शुरुआत करेंगे। संघ का कहना है कि वे किसी भी हाल में अपने हक को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी सभी उचित मांगें पूरी नहीं की जातीं। ध्यान रहे कि पटवारियों की यह संघर्ष का सिलसिला पिछले कई दिनों से जारी है और वे लगातार सरकार से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं। धरने में शामिल लोग सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे हैं और इसके साथ ही मांगों के समर्थन में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस आंदोलन को शांत करने के लिए कब और कैसे कदम उठाती है। फिलहाल, धरना स्थल पर बैठे पटवारी और कानूनगो अपनी मांगों के समर्थन में पूरी ताकत से जुटे हुए हैं। इस मौके पर गिरदावर चंद्रभान ज्यानी, रामकुमार स्वामी, तरसेम सिंह व पटवारी भारती मीणा, सुनीता कड़वा, कैलाश, ममता वर्मा, शैलेन्द्र, करणवीर, महावीर, अमनदीप,आकाश, रामकिशोर, विक्रम, गगनदीप मौजूद थे।
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