अगर हालात नहीं सुधरे तो किसानों को खाने पड़ेंगे चूहे- पलानीसामी

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नई दिल्ली: बीते 40 दिनों से जंतर-मंतर पर किसानों का प्रर्दशन जारी है लेकिन हद तब हो गई जब किसानों ने अपना ही यूरीन पीकर प्रदर्शन किया। किसान यूरिन बोतल में लेकर आए और मीडिया के सामने जैसे पीना शुरू किया पुलिस भी सकते में आ गई। हालांकि पुलिस ने किसानों को रोकने की कोशिश की, लेकिन दो किसान यूरीन पी चुके थे। यही नहीं इसके बाद सभी किसानों ने यूरीन को एक बाल्टी में भी जमा कर लिया। ये ही नहीं किसानों ने आगे मल खाने तक की धमकी दे डाली।

वहीं शनिवार शाम तमिलनाडु के सीएम ईके पलानीसामी ने दिल्‍ली के जंतर-मंतर पर किसानों से धरना-प्रदर्शन बंद करने की अपील की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के साथ मीटिंग का भरोसा भी दिया। वहां बैठे किसानों में से एक ने कहा, ‘तमिलनाडु के सीएम ने हमसे वादा किया है कि वह पीएम से हमारी मुलाकात कराएंगे, लेकिन तबतक हम लोग हड़ताल जारी रखेंगे।’

नरमुंडों, चूहों के साथ प्रदर्शन

किसान बीते 40 दिनों से प्रदर्शन के अनोख तरीके अपनाकर मीडिया और सरकार का ध्‍यान अपनी ओर खींच रहे हैं। किसानों ने अर्धनग्न होकर पीएम ऑफिस से प्रेसिडेंट हाऊस तक मार्च किया था। इसके बाद कुछ किसान पेड़ चढ़ गए और सुसाइड की धमकी दे डाली, घबराई पुलिस ने इन्हें नीचे उतार लिया।

इसके बाद तीसरे दिन किसानों ने अपने शरीर को पत्तों से ढककर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के 11 वें दिन सारे किसान जंतर-मंतर पर प्रतीकात्‍मक रूप से कुत्ता बनकर प्रदर्शन किया। 14 वें दिन चूहों को दांत से दबाकर प्रदर्शन किया। हैरानी की बात थी कि 16 वें दिन कई किसानों ने सांप का मांस खाया, कभी भिखारी, कभी पीएम मोदी, कभी साड़ी पहनकर, तो कभी महिला किसानों द्वारा मंगलसूत्र और चूडि़यां तोड़कर प्रदर्शन किया। किसानों का आरोप है कि उनकी बात नहीं सूनी जा रही है।

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65 साल के चिन्नागोदांगी पलानीसामी ने अपने राज्य तमिलनाडु में किसानों की दुर्दशा की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने दांतों के बीच जिंदा चूहा रखकर प्रदर्शन किया। पलानीसामी कहते हैं, “मैं और मेरे साथी किसान ये संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि अगर चीजें नहीं सुधरी तो हम चूहों को खाने के लिए मजबूर हो जाएंगे।”

क्या है मामला: तमिलनाडु के किसान 37 दिनों से दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये किसान केंद्र से अपने लोन की माफी की मांग कर रहे हैं। उन किसानों का कहना है कि उनकी फसल कई बार आए सूखे और चक्रवात में बर्बाद हो चुकी है। किसानों ने उन लोगों को मिलने वाले राहत पैकेज पर भी पुनर्विचार करने के लिए कहा है। किसानों की यह भी मांग है कि उनको अगली साल के लिए बीज खरीदने दिए जाएं और हुए नुकसान की भरपाई की जाए।

किसानों में पीएम मोदी को लेकर खासी नाराजगी है। एक किसान ने कहा कि हम लोग यहां गर्म सड़क पर सो रहे हैं और पीएम एसी वाले कमरे में रहते हैं। कुछ किसानों ने दावा किया कि मोदी किसानों से गुलामों जैसा बर्ताव कर रहे हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में किसानों की आत्महत्या को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने माना था कि किसानों की हालत वाकई बेहद चिंताजनक है। अदालत के मुताबिक ऐसे स्थितियों में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों का ख्याल रखे। कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। इसके साथ ही मामले में गोपाल शंकरनारायण को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है।

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