लोकसभा में मंगलवार को एक देश, एक चुनाव बिल (One Nation One Election) के लिए 129वां संविधान बिल पेश किया। बिल के लिए पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई। कुछ सांसदों की आपत्ति के बाद वोट संशोधित करने के लिए फिर पर्ची से मतदान हुआ।बिल को पेश करने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 मत पड़े। इसके बाद केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे सदन में रखा।
अमित शाह ने सदन में कहा कि बिल जब कैबिनेट में आया था, तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजना चाहिए। कानून मंत्री ऐसा प्रस्ताव कर सकते हैं। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन बिल, बीजेपी की देश में तानाशाही लाने की कोशिश है।
ये पार्टियां हैं समर्थन में
केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) जैसे भाजपा के सहयोगी दल इस अवधारणा का समर्थन कर रहे हैं। सूत्रों ने उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि विधेयक में नियत तिथि से संबंधित उप-खंड (1) जोड़कर अनुच्छेद 82ए में संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल समापन से संबंधित अनुच्छेद 82ए में उप-खंड (2) शामिल करने का भी प्रस्ताव होगा।
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इसमें अनुच्छेद 83(2) में संशोधन करने और लोकसभा की अवधि एवं उसे भंग करने से संबंधित नए उप-खंड (3) और (4) सम्मिलित करने का भी प्रस्ताव है। इसमें विधानसभाओं को भंग करने और ‘‘एक साथ चुनाव’’ शब्द को सम्मिलित करने के लिए अनुच्छेद 327 में संशोधन करने से संबंधित प्रावधान भी हैं।
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क्या है एक देश एक चुनाव विधेयक
सत्तारूढ़ भाजपा ने गुरुवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ के अपने प्रमुख मुद्दे को लागू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा के क्रियान्वयन के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक को मंजूरी दी थी।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के नेतृत्व वाली एक उच्चस्तरीय समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के साथ-साथ चरणबद्ध तरीके से नगर निकाय और पंचायत चुनाव कराने का भी प्रस्ताव दिया था, लेकिन मंत्रिमंडल ने ‘‘फिलहाल’’ स्थानीय निकाय चुनावों के मुद्दे से दूरी रखने का निर्णय किया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में इस विचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।
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