इस साल दिवाली की तिथि को लेकर काफी कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है तो आप अपना कन्फ्यूजन सबसे पहले दूर कीजिए कि इस साल दिवाली प्रमुख रूप से 31 अक्टूबर (diwali shubh muhurat 2024) को मनाया जा रहा है। अयोध्या में दिवाली और मथुरा, काशी में भी दिवाली 31 अक्टूबर को ही है। इसलिए सर्वमान्य रूप से दिवाली 31 अक्टूबर को है, और इस दिन दिवाली पूजा के लिए घरों में जो शुभ मुहूर्त है वह शाम के समय प्रदोष काल में है।
शास्त्रों में अनुसार आपके शहर में सूर्यास्त जिस समय हो उससे 48 मिनट आगे और पीछे का समय प्रदोष काल माना जाता है। इसी समय में स्थिर लग्न यानी वृषभ,सिंह,वृश्चिक और कुंभ में से कोई भी लग्न हो तब गृहस्थ जनों को दिवाली पूजन करना चाहिए इससे स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी पूजन करने से घर में हमेशा धन-धान्य बना रहता है और कभी भी तंगी, दरिद्रता, कर्ज जैसी आर्थिक परेशानियां उत्पन्न नहीं होती हैं। वहीं, दिवाली के दिन पूजा के दौरान मां लक्ष्मी और श्री गणेश को कई वस्तुएं अर्पित की जाती हैं।
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दिवाली के तीन शुभ मुहूर्त
दिवाली कार्तिक अमावस्या पर होती है और इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि का आरंभ 31 अक्टूबर को 3 बजकर 52 मिनट पर हो रहा है। कार्तिक अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर रहेगी। जबकि 31 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 5 बजकर 36 मिनट पर हो रहा है।
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ऐसे में दिवाली पूजा का मुहूर्त 31 अक्टूबर को 5 बजकर 36 मिनट से आरंभ हो रहा है। लेकिन स्थिर लग्न वृषभ 6 बजकर 32 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। लेकिन इस बीच अमृत चौघड़िया शाम 7 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। इसलिए दीपावली पर 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का सबसे उत्तम समय शाम 6 बजकर 32 मिनट से 7 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। वैसे आप 8 बजकर 32 मिनट तक भी स्थिर लग्न वृषभ में दिवाली पूजन कर सकते हैं।
पूजन सामग्री
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के लिए एक लकड़ी की चौकी, गंगा जल, पंचामृत, फूल, फल, एक लाल कपड़ा, एक लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, माचिस, घी, कपूर, गेहूं, दूर्वा, कुमकुम, हल्दी की गांठ, रोली, सुपारी, पान, लौंग, अगरबत्ती, धूपबत्ती, दीपक, जनेऊ, खील बताशे, चांदी के सिक्के के अलावा भी कुछ ऐसी चीजें ऐसी है जिन्हें शामिल करने से व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की कृपा साल भर बनी रहते हैं।
करें इन मंत्रों का जप
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय
धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा।
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