क्या है पितृ मोक्ष अमावस्या? जानें क्यों है सभी पितरों के लिए जरूरी

पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन ज्ञात एवं अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है। यानी कि जिन पितरों की तिथि पता है उनका और जिन पितरों की तिथि नहीं भी पता है उनका भी श्राद्ध इस दिन करना उत्तम माना जाता है।

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अश्विन माह की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है। सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है। इस दिन अमावस्या तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वाले परिजनों के साथ ऐसे पूर्वज जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है, उनका भी श्राद्ध होता है। आइये जानते हैं कि क्यों कहा जाता है सर्व पितृ अमावस्या को पितृ मोक्ष अमावस्या और क्या है इसका महत्व।

पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन ज्ञात एवं अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है। यानी कि जिन पितरों की तिथि पता है उनका और जिन पितरों की तिथि नहीं भी पता है उनका भी श्राद्ध इस दिन करना उत्तम माना जाता है। पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध करने से जहां एक ओर पितरों को अज्ञात योनियों से मुक्ति मिल जाती है तो वहीं, श्राद्ध करने वाले को पितृ कृपा मिलती है।

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पितृ मोक्ष अमावस्या का मुहूर्त
पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन कुतुप और रौहिण मुहूर्त में श्राद्ध करने का विधान है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन मुहूर्तों में श्राद्ध करने से पितरों को दोगुना फल मिलता है। 2 अक्टूबर को कुतुप मूहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। वहीं, रौहिण मूहूर्त दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से दोपहर 1 बजकर 21 मिनट तक रहने वाला है।

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ये हैं पितृ विसर्जन अमावस्या के शुभ संयोग
पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन और दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर लौटते हैं। इस साल सर्वपितृ अमावस्या पर दुर्लभ ब्रह्म योग, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। इन योग में पितरों की पूजा करने से व्यक्ति विशेष पर पूर्वजों की विशेष कृपा बरसेगी। इसके अलावा इस दिन दिन उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग भी बन रहा है।

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