मोबाइल इंडस्ट्री में ऐसे बनाएं करियर, सालाना पैकेज 3 से 4 लाख

देश में करीब 2 करोड़ एप्लीकेशन डेवलपर्स की आवश्यकता

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मोबाइल एप एक तरह का सॉफ्टवेयर होता है, जो मोबाइल के लिए बनाया जाता है। ये एप्लीकेशन कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की अपेक्षा कम साइज की होती हैं। मोबाइल एप्लीकेशन का बाजार सिर्फ साधारण यूजर तक ही नहीं है, बल्कि बिज़नेस और संस्थाएं भी इसका उपयोग करती हैं।

देश में स्मार्टफोन यूज़र और इंटरनेट उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या से मोबाइल एप्लीकेशन मार्केट को बढ़ावा मिला है। मोबाइल एप्लीकेशन यूजर की बढ़ती संख्या से इस इंडस्ट्री में रोजगार की नई संभावनाएं बनी हैं। आईएएमएआई के अनुसार 2020 के अंत तक देश में करीब 2 करोड़ एप्लीकेशन डेवलपर्स की आवश्यकता होगी। ऐसे में युवाओं के लिए यह रोजगार का अच्छा माध्यम बन सकता है।

चौथी सबसे बड़ी एप इकोनॉमी
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी मोबाइल एप इकोनॉमी है। इसके अलावा भारतीय लोगों द्वारा मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग करने का समय भी पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा हुआ है। जब एप डाउनलोड करने की बात आती है तो अमेरिका, चीन और ब्राजील के बाद भारत में ही सबसे ज्यादा एप डाउनलोड किए जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश में एप डाउनलोड की संख्या 2020 के अंत तक करीब 20 अरब होगी। हाल के वर्षों में भारत में रिटेल एप में खर्च तेजी से बढ़ा है। 2014 की अपेक्षा 2016 में रिटेल एप में खर्च करीब 11.5 फीसदी बढ़ गया। जबकि इसी दौरान वीडियो स्ट्रीम एप की संख्या 7.4 गुना बढ़ गई।

वर्तमान में टीवी चैनल से लेकर मैच स्ट्रीम और न्यूज़ तक के लिए मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग बढ़ा है। कार नेविगेशन, एंटरटेनमेंट, शॉपिंग, कॉमर्स और बैंकिंग के लिए भी मोबाइल एप्लीकेशन लोगों की जरूरत बन गए हैं। विभिन्न स्मार्टफोन कंपनियां भी नए तरह के एप को बनाने पर जोर दे रही हैं और इससे इसका बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लगातार बदलावों से चीजों का उपयोग करने के तरीके भी बदलते रहते हैं। इसीलिए मोबाइल एप डेवलपमेंट क्षेत्र में काम करने वाले प्रोफेशनल को इंडस्ट्री की मांग और ट्रेंड के अनुसार खुद को लगातार अपडेट करते रहना पड़ता है।

ये एप ज्यादातर एंड्रॉयड या आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम में उपयोग किए जाते हैं। कुछ अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए भी एप बनाए जाते हैं। इसके अलावा मोबाइल वेब आधारित एप भी बनाए जाते हैं, जिसमें एचटीएमएल5 का उपयोग किया जाता है और इसके लिए ब्राउजर की जरूरत होती है।

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी
एप डेवलपर बनने के लिए सी, सी++, ऑब्जेक्टिव सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी जरूरी है। साथ ही एप्लीकेशन डिजाइन, डेवलपमेंट एंड टेस्टिंग की समझ भी जरूरी है। बारहवीं कक्षा पास कर चुके छात्र कंप्यूटर साइंस से संबंधित कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। 12वींं में मैथ्स भी एक विषय रहा हो। कंप्यूटर साइंस से बैचलर या मास्टर डिग्री करने वाले छात्र इसके डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं।

विभिन्न पदों पर मौके
इसक्षेत्र में प्रोफेशनल मोबाइल एप्लीकेशन डेवलपर, एंड्राॅयड एप्लीकेशन डेवलपर, आईफोन / आईओएस एप्लीकेशन डेवलपर, विंडो मोबाइल एप डेवलपर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, जावा एप्लीकेशन डेवलपर, ऑब्जेक्टिव-सी डेवलपर और डॉट नेट डेवलपर जैसे पदों के लिए अवसर मौजूद हैं।

शुरुआत में भी अच्छा पैकेज
इसमेंसंस्थान और योग्यता के आधार पर सैलरी पैकेज अलग-अलग हो सकता है। फ्रेशर को सालाना पैकेज 3 से 4 लाख रुपए मिल सकता है। 5 वर्षों के अनुभव के बाद 6 से 8 लाख रुपए सालाना पैकेज होने की संभावना होती है।

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