9 गोलियां लगने और 2 महीने कोमा में रहने के बाद डिस्चार्ज हुए चेतन कुमार चीता

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ एनकाउंटर में 9 गोलियां खाने वाले CRPF कमांडेंट चेतन कुमार चीता की जान बच गई है। दो महीने तक कोमा में रहने के बाद चेतन अब होशो-हवास में हैं और बातें कर रहे हैं। उन्हें बुधवार को एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉक्टरों ने बताया की चीता की सीधा आंख को नहीं बचाया जा सका। लेकिन वह उल्टी आंख से देख पाएंगे।

चेतन चीता को 9 गोलियां लगी थीं। दो महीने से ज्यादा तक वह कोमा में रहे। 45 वर्षीय चीता को जब AIIMS लाया गया था तो उनके सिर में गोलियां लगी हुई थीं। उनका ऊपरी अंग बुरी तरह से फ्रैक्चर किया था और दाहिनी आंख फूट गई थी। एक डॉक्टर ने बताया कि उनका जीसीएस स्कोर (मस्तिष्क की चोट की गंभीरता को मापने वाला टेस्ट) एम 3 था। वह गंभीर कोमा की स्थिति में थे। अब उनका जीसीएस स्कोर एम6 है। डॉक्टर ने बताया कि वह अब पूरे होश-ओ-हवास में हैं और सभी अहम अंग काम कर रहे हैं।

यह था मामला: 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के बांदीपोर जिले के हाजिन इलाके में 3 जवान और एक आतंकवादी मारा गया था और चीता बुरी तरह घायल हो गए थे। सूत्रों ने बताया था आतंकियों को उनके ठिकाने पर हमले के बारे में पहले से जानकारी मिली हुई थी।

सीआरपीएफ के इस कमांडर को सबसे पहले श्रीनगर के मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया था और उन्हें खून रोकने की दवाई दी गई थी। लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें एयरलिफ्ट कर एम्स के ट्रॉमा सेंटर लाया गया। भर्ती होने के 24 घंटे में ही उनकी सर्जरी की गई और खोपड़ी के एक हिस्से को हटा दिया गया ताकि इंट्राक्रेनियल दबाव को कम किया जा सके।

चीता को अत्यधिक एंटीबायोटिक्स पर रखा गया था ताकि इन्फेक्शन कम किया जा सके और उनके घावों को भी लगातार साफ किया जाता रहा। डॉक्टर ने बताया कि एक बार स्थिर होने के बाद कई टीमों को बुलाया ताकि घावों का उपचार किया जा सके। उनकी बाईं आंख को ठीक कर लिया गया लेकिन दाईं आंख ठीक नहीं हो पाई।

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