महिलाओं की सुरक्षा के लिये कठोर कानून बनाने व बलात्कारियों को तुरंत फांसी देने की मांग

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हनुमानगढ़। कामकाजी महिला समन्वय समिति सीटू ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर महिलाओं की सुरक्षा के लिये कठोर कानून बनाने व बलात्कारियों को तुरंत फांसी देने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि भारत की कामकाजी महिलाएं और पुरुष, बच्चों व महिलाओं के खिलाफ बढ़ती क्रूर हिंसा और समाज व कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ जारी भेदभाव से बेहद चिंतित हैं। सीआईटीयू के बैनर तले हम महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव व हिंसा को समाप्त करने तथा कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करने की मांग करते है। हाल ही में हुई घटनाओं पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्ष डॉक्टर के साथ जघन्य बलात्कार और हत्या, महाराष्ट्र के थाणे के बदलापुर में चार साल के मासूम बच्चों के साथ यौन हिंसा, उत्तर प्रदेश में एक नर्स के साथ बलात्कार और हत्या, असम में एक किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार, उत्तराखंड के देहरादून में बस में एक और बलात्कार ने देश की महिलाओं में भय पैदा कर दिया है।

ये घटनाएं हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा, खासकर कार्यस्थली के बारे में गंभीर सवाल उठाती है और हमारे देश की कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्था में खामियों को उजागर करती हैं। हाथरस, कठुआ, उन्नाव आदि में बलात्कार की कुख्यात घटनाएं और इन मामलों में राज्य प्रशासन व शासक वर्ग की पार्टियों का खुला समर्थन महिलाओं के खिलाफ गहरे संस्थागत पूर्वाग्रहों और अपराधियों के समर्थन को दर्शाते हैं, जो उच्च जाति के संपन्न वर्ग से हैं। यह शर्मनाक है कि आज भी, कुछ स्वयंभू बाबा जो लगातार अपराधी हैं. उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी से संरक्षण मिल रहा है। महिलाओं को कार्यस्थल पर असमान वेतन और अवसरों की कमी से लेकर यौन उत्पीडन तक कई तरह के भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। मौजूदा कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्थाएं इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए अपर्याप्त हैं। यह राष्ट्रीय शर्म की बात है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित पहलवानों को यौन हिंसा के खिलाफ सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा और उन्हें अभी तक अपराधियों से न्याय और सुरक्षा नहीं मिली है।

हमें यह कहते हुए खेद है कि मणिपुर सहित ऐसे मामलों में आपकी चुप्पी अपराधियों को प्रोत्साहित करेगी और महिलाओं के प्रति सामाजिक पूर्वाग्रहों और भेदभावपूर्ण रवैये को मजबूत करेगी। समिति ने मांग की है कि महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को समाप्त करने के लिए आवश्यक कानूनी और प्रशासनिक कदम उठाएंगे तथा यौन हिंसा के मामलों में उनकी राजनीतिक संबद्धता पर ध्यान दिए बिना मजबूत राजनीतिक रुख अपनाएंगे। दोषियों के विरुद्ध आरजी कर मामले में पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए निष्पक्ष और कुशल जांच तथा त्वरित सुनवाई हो। अपराध को छुपाने और अपराध को अंजाम देने में शामिल सभी लोगों को कड़ी सजा मिले, बलात्कार और यौन हिंसा के सभी मामलों की त्वरित सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए, पर्याप्त फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की जाए व उनके लिए आवंटन में वृद्धि की जाए, मानसिक स्वास्थ्य की उचित देखभाल के साथ यौन हिंसा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए विशेष प्रावधान किए जाएं,  सभी कार्यस्थलों पर सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। सभी कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए अलग शौचालय और विश्राम कक्ष सुनिश्चित किए जाएं, न्यायमूर्ति वर्मा कमेटी की सिफारिशों को लागू किया जाए, जिसमें सुरक्षित पेयजल, प्रकाश व्यवस्था और सार्वजनिक स्थानों की सुरक्षा, रात में सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करना आदि प्रावधान शामिल है, निर्भया फंड में वृद्धि की जाए और इसका उचित उपयोग सुनिश्चित किया जाए।

डॉक्टरों, नर्सों, पैरा मेडिकल स्टाफ और आशा वर्कर्स और फैसिलिटेटर्स सहित सभी स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष कानून बनाया जाए, सभी कार्यस्थलों पर पॉश अधिनियम का सख्ती से क्रियान्वयन किया जाए, दोषी प्रबंधन को दंडित किया जाए व सुनिश्चित किया जाए कि सभी स्थानीय कमेटियां ठीक से काम करें, अपीलों पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 का सख्ती से क्रियान्वयन किया जाए। घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को आश्रय और आर्थिक सहायता के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। ऑनर किलिंग के खिलाफ कानून बनाया जाए।, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए महिलाओं से संबंधित सभी कानूनी और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए बजटीय आवंटन में वृद्धि की जाए।, केंद्र सरकार फिल्म/टेलीविजन उद्योग के साथ-साथ मीडिया के लिए आदर्श आचार संहिता बनाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी राज्य न्यायमूर्ति हेमा कमेटी की तर्ज पर कमेटियां गठित करें और फिल्म उद्योग में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और हिंसा को समाप्त करने के लिए समयबद्ध कार्रवाई करें।

सभी क्षेत्रों में समान पारिश्रमिक अधिनियम का सख्ती से क्रियान्वयन किया जाए। महिलाओं के लिए संयुक्त पट्टे और संपत्ति के अधिकार सुनिश्चित किए जाएं, स्कूल/विश्वविद्यालय की पाठ्य पुस्तकों से लैंगिक भेदभाव वाली सामग्री हटाई जाए। लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम और सिलेबस में संशोधन किए जाएं।, महिलाओं के विरुद्ध साइबर अपराधों के खिलाफ अलग कानून बनाया जाए।, लैंगिक भेदभाव और हिंसा को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों/फिल्मों/भारावाहिकों आदि की सामग्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।, हिंसा और सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने और महिलाओं व ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए समानता को बढ़ावा देने के लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाए जाएं। इस मौके पर कामरेड रामेश्वर वर्मा,कामरेड चन्द्र कला वर्मा, कामरेड कमला मेघवाल कामरेड कामरेड सर्वजीत कौर, कामरेड आत्मा सिंह, कामरेड बहादुर सिंह चौहान बलदेव सिंह मक्कासर कामरेड शेर सिंह शाक्य कामरेड दिनेश मजोका आदि साथी मौजूद रहे

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