सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को क्यों है हत्या का डर?

सऊदी प्रिंस अपनी जान के खतरे के बाद भी अमेरिका और इजरायल के साथ समझौते को आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है। उनको लगता है कि सऊदी के भविष्य के लिए यह समझौता जरूरी है।

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सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (saudi crown prince) को जान का खतरा महसूस हो रहा है। ये दावा अमेरिकी वेबसाइट पोलिटिको ने किया है। इस खबर के बाहर आते ही क्राउन प्रिंस सुर्खियों में बने हुए हैं। न्यूज आउटलेट के मुताबिक, अगर सऊदी प्रिंस इजरायल के साथ सामान्यीकरण समझौता (Israel Saudi Deal) करते हैं, तो उनकी हत्या हो सकती है। सऊदी प्रिंस ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने अमेरिकी सांसदों को कथित तौर पर बताया कि अगर वह इजरायल के साथ ऐसा समझौता करते हैं, जिसमें फिलिस्तीन राष्ट्र को मान्यता देने की बात शामिल नहीं होगी, तो उनकी हत्या की जा सकती है।

उन्होंने मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात का भी जिक्र दिया। इजराइल के साथ 1978 में शांति समझौता करने की वजह से 1981 में उनकी हत्या कर दी गई थी। प्रिंस सलमान ने पूछा कि आखिर अमेरिका ने सादात की हिफाजत करने के लिए क्या इंतजाम किए थे?

प्रिंस सलमान ने अमेरिकी अधिकारियों से कहा कि इजराइल के साथ अगर कोई भी शांति समझौता करना है तो इसके लिए अलग फिलिस्तीन देश का निर्माण जरूरी है। खासकर ऐसे वक्त में जब गाजा में हो रही लड़ाई की वजह से इजराइल के खिलाफ अरबों का गुस्सा और बढ़ गया है।

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अपनी जान खतरे में डालकर क्यों कर रहे हैं क्राउन प्रिंस डील?
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रिंस सलमान को इजराइल से दोस्ती करने के बाद होने वाले नुकसान का अंदाजा है। वे फिर भी अमेरिका और इजराइल के साथ मेगा डील करना चाहते हैं। वे इसे सऊदी अरब के लिए जरूरी मानते हैं। इजराइल से दोस्ती कायम करने के बाद अमेरिका, इजराइल की सिक्योरिटी की जिम्मेदारी संभालेगा। इसके अलावा उसे अमेरिका से सिविलियन न्यूक्लियर प्रोग्राम और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी मदद मिल सकती है। इस मेगा डील के बाद सऊदी अरब, चीन के साथ अपने लेन-देन को सीमित कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिम देशों के बीच सऊदी के महत्व को देखते हुए यह डील इजराइल के लिए एक वरदान साबित हो सकती है।

इजरायल संग डील से सऊदी को क्या फायदा?
सऊदी प्रिंस अपनी जान के खतरे के बाद भी अमेरिका और इजरायल के साथ समझौते को आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है। उनको लगता है कि सऊदी के भविष्य के लिए यह समझौता जरूरी है। क्यों कि इसके बदले में सऊदी को अमेरिका से हथियारों की रेगुलर सप्लाई, सुरक्षा की गारंटी मिल सकेगी। इसके साथ ही सऊदी अमेरिका की मदद से नागरिक परमाणु प्रोग्राम भी शुरू कर सकेगा।

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सऊदी ने इजराइल को मान्यता नहीं दी है
क्राउन प्रिंस सलमान ने सितंबर 2023 में कहा था कि वो इजराइल के साथ रिश्ते सामान्य करने के बेहद करीब हैं लेकिन 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद स्थिति बदल गई। इस साल फरवरी में सऊदी अरब ने कहा था कि वो इजराइल के साथ कोई राजनीतिक रिश्ते नहीं बनाएगा।

​​​​​​​सऊदी अरब ने अब तक इजराइल को एक देश के तौर पर मान्यता नहीं दी है। इसलिए दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक रिलेशन्स नहीं है। सऊदी का कहना है कि वो इजराइल के साथ संबंध सामान्य कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उसे 2002 के अरब शांति प्रस्ताव की शर्तें माननी होंगी।

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2002 में तय हुआ था कि इजराइल को उन सभी क्षेत्रों से अपना कब्जा हटाना होगा जो उसने 1967 की जंग के दौरान किया। फिलिस्तीन को एक आजाद मुल्क मानना होगा। पूर्वी यरूशलम को उसकी राजधानी माननी होगी। इन शर्तों में सभी अरब देशों की सहमति थी।

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