1947 में जन्मीं शेख हसीना बांग्लादेश की राजनीति का सबसे प्रभावी और विवादित चेहरा भी हैं।

उनके पिता शेख मुजीब-उर-रहमान 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी दिलाने वाला चेहरा थे।  हालांकि, 1975 में पिता मुजीब-उर-रहमान और अपने परिवार की हत्या की घटना के बाद हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा था। 1980 के दशक में हसीना एक बार फिर देश लौटीं और यहां की हलचल भरी राजनीति में उतरीं।

1996 में वे पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। उनके पहले कार्यकाल को बांग्लादेश के लिए जबरदस्त सुधारों वाला समय माना जाता है।  2024 में शेख हसीना के साथ जो घटनाक्रम हो रहा है, वह कोई नया नहीं है। कुछ ऐसा ही 2006 में भी हुआ था

शेख हसीना 15 साल बांग्लादेश पर शासन कर चुकी हैं। हालांकि, उनकी जीत को लेकर विपक्ष ने कई बार चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी और राजनीतिक दलों के साथ-साथ स्वतंत्र संस्थाओं को धमकाने के भी आरोप लगाए हैं।

शेख हसीना दो बार जानलेवा हमलों से भी बच चुकी हैं। इनमें पहला हमला उन पर 1975 में हुआ था, जब उनके पिता मुजीब के साथ उनके पूरे परिवार की हत्या हो गई थी।

दूसरा हमला सीधा हुआ था। 2004 में उन पर ग्रेनेड फेंका गया था, जिसमें वह बुरी तरह जख्मी हो गई थीं। इस हमले में दो दर्जन से ज्यादा लोगों की जान गई।

बांग्लादेश में चल रहे आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ( Sheikh Hasina) ने सोमवार, 5 अगस्त को पद से इस्तीफा दे दिया।

बांग्लादेश के हालात इस वक्त इतने बिगड़ गए हैं कि शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा।

बांग्लादेश के सेना प्रमुख का बयान आया है, “हम अंतरिम सरकार बनाएंगे, देश को अब हम संभालेंगे। आंदोलन में जिन लोगों की हत्या की गई है, उन्हें इंसाफ दिलाया जाएगा।