क्या है ‘ब्रेन ईटिंग’ अमीबा? कैसे अटैक करता है, केरल में अबतक 3 की मौत

अमीबा के शुरुआती लक्षण बहुत सीधे और स्पष्ट नहीं होते। शुरू-शुरू में तो यह वायरल मेनेन्जाइटिस (Viral Meningitis) की तरह ही दिखाई देते हैं।

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केरल में इंसानी दिमाग खाने वाले अमीबा (Amoeba kerala News) का एक और केस मिला है। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, एक 14 साल के लड़के में रेयर ब्रेन इन्फेक्शन अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के संक्रमण की पुष्टि हुई है।  ब्रेन इन्फेक्शन से पीड़ित लड़का उत्तरी केरल जिले के पय्योली का रहने वाला है। डॉक्टरों ने बताया कि उसे 1 जुलाई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद उसमें संक्रमण की पुष्टि हुई।

केरल में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस का सबसे पहला केस 2016 में आया था। इसके बाद 2019, 2020 और 2022 में एक-एक केस मिला था। इन सभी मरीजों की मौत हो गई थी। इस बीमारी में मरीज को बुखार, सिर दर्द, उल्टी और दिमागी दौरे पड़ते हैं।

केरल में मई से अब तक दिमाग खाने वाले अमीबा के चार केस मिले हैं। सभी मरीज बच्चे हैं, जिनमें से तीन की पहले ही मौत हो चुकी है। मेडिकल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि यह संक्रमण तब होता है जब फ्री-लिविंग गैर-परजीवी अमीबा बैक्टीरिया दूषित पानी से नाक के जरिए शरीर में घुसता है।

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क्या है अमीबा?
नेगलेरिया फाउलेरी एक अमीबा है। यह एक कोशिकीय जीव और फ्री लिविंग ऑर्गनिज्म है। इसका अर्थ है ऐसा जीव, जिसे सर्वाइव करने के लिए सपोर्ट या इकोसिस्टम की जरूरत नहीं होती। यह स्वतंत्र रूप से रहता है। इसका नाम है नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleri Fowleri)। आम बोलचाल की भाषा में इसे ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’ भी कहा जाता है। यह पूरी दुनिया में कहीं भी हो सकता है। यह आमतौर पर झीलों, नदियों, तालाबों, पानी के उथले सोतों और गर्म पानी के झरनों में रहता है। कई बार यह मिट्टी में भी हो सकता है।

समय पर इलाज नहीं, एक हफ्ते के अंदर मौत तय
अमेरिका के सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल के मुताबिक पीएएम एक ब्रेन इंफेक्शन है जो अमीबा या नेगलेरिया फाउलेरी नामक एकल-कोशिका वाले जीव से होता है। इसे आमतौर पर ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ कहा जाता है क्योंकि जब अमीबा युक्त पानी नाक में जाता है तो यह ब्रेन को इंफेक्टेड कर देता है। ‘प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ यानी PAM बीमारी में ब्रेन-ईटिंग अमीबा इंसान के दिमाग को संक्रमित कर मांस खा जाता है। ये कोई आम अमीबा नहीं हैं, जिसके संक्रमण को एंटीबायोटिक दवाओं से खत्म किया जा सके। ये इतना घातक है कि समय रहते संक्रमण को नहीं रोका जाए तो 5 से 10 दिन में इंसान की मौत हो सकती है।

अमीबा ब्रेन ही क्यों खाता है?
यह अमीबा नाक के जरिए घुसता है और सीधे ब्रेन पर हमला करता है। यह वैसे तो बैक्टीरिया खाकर जिंदा रहता है, लेकिन अगर एक बार मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाए तो यह ब्रेन को अपना फूड बनाकर उसे ही खाने लगता है। इससे संक्रमित होने पर शरीर में जो कंडीशन पैदा होती है, उसे मेडिसिन की भाषा में प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (primary amoebic meningoencephalitis यानी PAM कहते हैं। यह शरीर के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को पैरालाइज कर देती है। यह संक्रमण तकरीबन हरेक मामले में जानलेवा ही साबित होता है।

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अमीबा के लक्षण 
अमीबा के शुरुआती लक्षण बहुत सीधे और स्पष्ट नहीं होते। शुरू-शुरू में तो यह वायरल मेनेन्जाइटिस (Viral Meningitis) की तरह ही दिखाई देते हैं। लक्षण प्रकट होने में 2 दिन से 15 दिन तक का समय लग सकता है। जैसे-सिरदर्द, उल्टीआना, खाने का स्वाद न आना, चक्कर आना, धुंधला दिखाई देना, दौरे पड़ना, बेहोश हो जाना आदि। पूरी दुनिया में औसतन 10 में से सिर्फ 1 केस ऐसा ही ऐसा होता है, जब संक्रमित व्यक्ति सर्वाइव कर पाता है।

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