केएल शर्मा से अमेठी में क्यों हारीं स्मृति ईरानी? समझिए एक लाइन की सीक्रेट स्ट्रैटजी

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अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी को कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने हराकर पूरे देश को चौंका दिया। कांग्रेस के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले किशोरी लाल शर्मा पहली बार चुनाव मैदान में उतरे। पहली बार में ही उन्होंने भाजपा की मजबूत कैंडिडेट स्मृति को हराकर खुद को सच में ‘चाणक्य’ साबित कर दिया। स्मृति ने केएल शर्मा को शुरू से आखिरी तक हल्के में लिया, लेकिन राहुल-प्रियंका ने जो स्ट्रैटेजी बनाई, आखिर वह कामयाब रही।

अब देश की जनता के बीच ये सवाल है कि स्मृति आखिर क्यों हारीं? लोगों में स्मृति ईरानी के लिए अंदर ही अंदर गुस्सा था। उन्हें सबक सिखाने के लिए वोट को हथियार बनाया। स्मृति का कार्यकर्ताओं के बीच उठना-बैठना कम हो गया था। ज्यादातर समय दिल्ली में ही रहतीं। गिनती के कार्यकर्ताओं के साथ ही सीधा संपर्क था। निचले कार्यकर्ताओं से मिलना-जुलना बहुत कम हो गया, जिस कारण कार्यकर्ताओं ने दिल से जुड़कर काम नहीं किया।

अमेठी कांग्रेस की हमेशा से खास
अमेठी कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। राजीव गांधी, सोनिया, राहुल सभी यहां से जीतकर संसद पहुंचते रहे हैं। 1999 से लगातार अमेठी में गांधी परिवार के सदस्य ही जीत रहे थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस पर ब्रेक लगा। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 55 हजार वोट से चुनाव जीत लिया, राहुल गांधी की हार हुई थी।

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इस जीत ने स्मृति का कद काफी बढ़ा दिया। 5 साल में उन्होंने इन्फ्रास्ट्रक्चर और एजुकेशन के लिए काम किए। अमेठी में अपना घर भी बनाया, मगर लोगों के दिल में घर नहीं बना सकीं। आम लोगों का इनसे मिलना आसान नहीं था। इससे उलट, केएल शर्मा बहुत सादगी वाले व्यक्ति है। आम नागरिक की तरह वह चौक-चौपाटी पर उठना-बैठना करते हैं। लोगों ने वोट देते समय शायद यही सोचा कि क्यों न अपने आदमी को चुना जाए।

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एक लाइन की सीक्रेट स्ट्रैटजी
केएल शर्मा ने गांव-गांव में पुराने कांग्रेसियों से संपर्क साधना शुरू किया। ये वो लोग थे, जो अलग-अलग कारणों से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। उनके साथ खुद बैठक की और दोबारा पार्टी के साथ जोड़ने में कामयाब रहे। दूसरी ओर केएल शर्मा की पत्नी और बेटियों ने भी गांव-गांव जाकर सभाएं की महिलाओं को समझाया। ये परिणाम इसी सीक्रेट स्ट्रैटजी का हिस्सा है।

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