लंबे समय एसी में बैठने से हो सकता है अस्थमा

एक या दो घंटे में 5 से 7 मिनट के लिए ऑफिस के ही ऐसे स्थान पर जाएं जहां एसी की कूलिंग नहीं। सीधे धूप में नहीं जाएं।

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लाइफस्टाइल डेस्क: आजकल लोग आठ से नौ घंटे एयर कंडीशनर में रहते हैं। अलबामा यूनिवर्सिटी के मुताबिक, एयर कंडीशनर आर्टिफिशियल टेम्प्रेचर बनाता है। इसका बॉडी के फंक्शन्स पर बुरा असर पड़ता है। आज हम आपको बताते हैं दिनभर एसी में बैठने से कौन-कौन से नुकसान होते हैं। इससे बचने के लिए एक या दो घंटे में 5 से 7 मिनट के लिए ऑफिस के ही ऐसे स्थान पर जाएं जहां एसी की कूलिंग नहीं। सीधे धूप में नहीं जाएं।

थकान: एसी का टेम्प्रेचर कम रहता है। ऐसे में बॉडी को अपना टेम्प्रेचर मेंटेन करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। जिससे थकान हो सकती है।

सिरदर्द: लगातार एसी में बैठने के कारण बॉडी का ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ जाता है। इससे मसल्स में खिंचाव होता है सिरदर्द की प्रॉब्लम हो सकती है।

बेचैनी और स्ट्रेस : हमेशा एसी में रहने के कारण बॉडी को एक ही टेम्प्रेचर की आदत पड़ जाती है। टेम्प्रेचर चेंज होते ही बेचैनी और स्ट्रेस की प्रॉब्लम होने लगती है।

साइनस: एसी की ठंडी हवा के कारण म्यूकस ग्लैंड हार्ड हो जाती है। स्टडीज के अनुसार जो लोग चार घंटे से ज्यादा समय तक एसी में बैठते हैं , उन्हें साइनस होने का खतरा रहता है।

एलर्जी: एसी के फिल्टर लम्बे समय तक साफ हो, तो उसकी हवा से निकलने वाली धूल बैक्टीरिया के कारण सर्दी – जुकाम, वायरल इन्फेक्शन और एलर्जी हो सकती है।

ड्राईस्किन : एसीकी ठंडी हवा के कारण स्किन की नेचुरल नमी कम हो जाती है। इससे स्किन ड्राई हो सकती है।

जोड़ों में दर्द : एसीसे निकलने वाली हवा के कारण जोड़ों के फंक्शन पर बुरा असर पड़ता है। इससे जॉइंट्स में अकड़न पैदा होती है। यह आर्थराइटिस में भी बदल सकती है।

अस्थमा: एसी में लम्बे समय तक रहने से अस्थमा आशंका बढ़ सकती है।

ब्रेनपर असर : एसीका टेम्प्रेचर बहुत कम होने के कारण ब्रेन सेल्स सिकुड़ने लगती है। इससे ब्रेन पर बुरा असर पड़ता है।

आंखों की प्रॉब्लम : एसीकी ठंडी हवा के कारण आखों की ड्राइनेस बढ़ जाती है। इससे आंखों में खुजली, पानी आना, आंखों में चुभन और लान होना जैसी प्रॉब्लम हो सकती है।

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