Coronavirus Vaccine: ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार कोर्ट में मान लिया है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं। हालांकि, ऐसा बहुत रेयर (दुर्लभ) मामलों में ही होगा। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई है। अब इसे लेकर भारतीयों के बीच चिंता बढ़ गई है। पिछले कई महीनों से हंसते-बैठते और नाचते व जिम करते हुए लोगों की मौतें रहस्य बनी हुई हैं।
इन सभी की अचानक हार्ट अटैक से सांसे थम गईं। वहीं अब कंपनी के इस कबूलनामे के बाद अचानक हार्ट अटैक से हो रहीं मौतों को लेकर वैक्सीन पर संशय बढ़ रहा है। एस्ट्राजेनेका की इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार किया था। ब्रिटेन में कई परिवारों ने वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट होने का आरोप लगाने के बाद वहां कानूनी लड़ाई जारी है।
सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुए पीएम मोदी
जब से कोविड-19 वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट की खबर सामने आयी है। तब से पीएम मोदी की अरेस्ट करने की मांग सोशल मीडिया पर #ArrestNarendraModi ट्रेंड हो रही है। दरअसल, देशभर में 175 करोड़ लोगों सबसे ज्यादा कोविड महामारी के दौरान कोविडशील्ड वैक्सीन दी थी। जिससे लेकर अब मोदी को घिरा जा रहा है। कई यूजर्स का कहना है कि 175 करोड़ लोगों की मौत का सौदा 52 करोड़ चंदा में हुआ है? अगर उन्हें कुछ होता है तो इसका जिम्मेदार पीएम मोदी होंगे।
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कोविडशील्ड के 52 करोड़ चंदा का क्या है मामला?
भारत में इस वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने किया था। मार्केट में वैक्सीन आने से पहले ही SII ने एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता किया था। सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। केंद्र की मोदी सरकार ने कोविड-19 के दौरान सीरम इंस्टीट्यूट को वैक्सीन बनाने का एकाधिकार दिया था। भारत में करीब 80 फीसदी वैक्सीन डोज कोविशील्ड की ही लगाई गई है।
चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद जो डाटा सामने आया था। जिसमें खुलासा हुआ था कि कोविशील्ड वैक्सीन जारी करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ने चुनावी बांड के जरिए बीजेपी को 52 करोड़ रुपये का दान दिया था। कहा जा रहा है कि केंद्र ने कोविड-19 के दौरान सीरम इंस्टीट्यूट को वैक्सीन बनाने का एकाधिकार दिया था और बदले में सीरम इंस्टीट्यूट ने बीजेपी को 52 करोड़ रुपये का चंदा दिया था।
यानी कुल मिला कर कहें तो सीरम इंस्टीट्यूट से चंदा लेकर न सिर्फ उन्हें वैक्सीन बनाने का एकाधिकार दिया गया था बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों ने उसके वितरण को लेकर भी मदद की थी। अब साल 2024 में जहां बीजेपी फ्री वैक्सीन के नाम पर वोट मांग रही है। वहीं अब आयी ये खबर बीजेपी और मोदी सरकार पर उल्टा असर डाल सकती है।
क्या है पूरा मामला?
ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई। वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। कंपनी के खिलाफ हाईकोर्ट में 51 केस चल रहे हैं। पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है। ब्रिटिश हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने माना है कि उनकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है।
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क्या होता है थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम?
थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया रक्त में प्लेटलेट्स (थ्रॉम्बोसाइट) की कम संख्या को कहते हैं, जो रक्तस्राव के जोखिम को बढा देता है। थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया तब घटित होता है जब बोन मैरो बहुत कम प्लेटलेट्स बनाती है या जब बहुत अधिक प्लेटलेट्स नष्ट हो जाते हैं या बढ़े हुए स्प्लीन के भीतर जमा हो जाते हैं।
थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के लक्षण?
- शरीर में खून की थक्के जमना
- ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
- कार्डियक अरेस्ट का खतरा
- हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा
- सिरदर्द
- सांस लेने में दिक्कत
- चक्कर आना
- पैर में सूजन
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