दु:ख नाशिनी झांतला माता

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शाहपुरा शाहपुरा जिला मुख्यालय से 12 किमी दूर कोटडी तहसील के बोरडा गाँव में झांतला माता स्थापित है इस स्थान की स्थापना तथा महत्व के बारे में हमारे जिला संवाददाता संवाददाता महावीर मीणा ने ग्राम वासियों से जानकारी जुटाई ¬–
जानकारी के अनुसार यहाँ पर स्थित माता जी का बोरडा झांतला माता के नाम से प्रसिद है 100 साल पूर्व कि बात है की पाण्डोली जिला चित्तोरगढ़ के किसी व्यक्ति (उसका नाम उपलब्ध नहीं) नायक जाति के व्यक्ति के सपने में झांतला माता ने आकर बताया की मुझे इस पाण्डोली गाँव में नहीं रहना है और तुम मुझे यानि कि मेरी मूर्ति को ऐसे स्थान पर कर प्रतिष्टित कराओ जहाँ पर तालाब की पाल हो उस तालाब की पाल पर बड और पीपल हो और तालाब की पाल हो वहा पर मुझे उतार देना में वही पर प्रतिस्थापित हो कर पीडितो दीन दुखियो लूले लंगड़े बहरे गूंगे को मुझे यही ठीक करना है/ माता जी की इस बात को सुनकर उस व्यक्ति ने पाण्डोली के निज मंदिर से माताजी मूर्ति को लेकर ऊंट पर सवार होकर घूमता घूमता बोरडा गाँव तक पहुँच गया।बोरडा गाँव में माता जी के द्वारा बताये गये एलान निशान मिल गए।

उसी माताजी के बताये एलान निशान के अनुसार तालाब की पाल पर माताजी की मूर्ति को इस जगह पर उतार दिया तथा मूर्ति लाने वाले व्यक्ति ने मूर्ति वही रखकर गाँव के भीतर नाइयों के घर पर जाकर बताया कि मै यहाँ पर माताजी के कहे अनुसार मूर्ति लेकर आया हूँ आप लोग इस मूर्ति की पूजा प्रतिष्टा कराओ, आज से आप ही इस माताजी की मूर्ति की पूजा अर्चना करोगे ।इस बात से नाई समाज के लोग सहमत हो कर मूर्ति की पूजा अर्चना शुरु कर दी। कुछ समय बाद चाँद सिंह जी बोरडा ठाकुर ने मंदिर निर्माण के लिए उगाही की थी इस उगाही में अमरपुरा गाँव के ठाकुर साहब ने उगाही देने से मना कर दिया। तथा बहुत बुरा भला कहा और कहा की ऐसे तो बहुत आते है , पैसा लेकर चले जाते है माता जी में ताकत होगी तो मुझसे मंदिर निर्माण की उगाई वसूल ले चाँद सिंह जी बिना उगाही लिए ही गाँव में किसी के घर विश्राम के लिए ठहर गए उसी रात अमरपुरा के ठाकुर साहब के हाथ पाँव जाम हो गए मुह टेढ़ा हो गया .

अमरपुरा ठाकुर साहब की इस हालत कि खबर आस पास के लोगों को मिली तथा गाँव के लोग एकत्रित हो गए और कहने लगे की ठाकुर साहब को क्या हो गया।यह बात चाँद सिंह जी को मालूम पड़ी तो चाँद सिंह जी ने कहा कि यह तो माता का चमत्कार है आप माता कि शरण में जाओ तो लोगों ने ट्रेक्टर में भर कर ले आये माताजी के यहाँ आने के बाद अमरपुरा ठाकुर साहब ने कहा कि मुझे यहाँ से बाहर निकालो मुझे यहाँ नहीं रहना मुझे यहाँ क्यों लेकर आये ये मूर्ति मेरा क्या इलाज कर देगी ठाकुर साहब की बात को सुन कर उनके परिवार वालो ने ट्रेक्टर में बिठा कर माताजी के स्थान से ले जाने लगे थे तो माताजी की सीमा के अन्दर ट्रेक्टर हवा में रह गया टायर घुमने लगे और आगे नहीं बढ़ पाया जब ट्रेक्टर पीछे लिया तो फिर वो ही 50 फीट जाकर रुक गया.

अब 50 फीट के अन्दर ही ट्रेक्टर आगे पीछे हो सकता था तो उस सीमा के बाहर ट्रेक्टर को निकाले कैसे इस तरह माताजी ने ट्रेक्टर को सीमा के बाहर नहीं निकलने दिया ऐसी स्थिति में परिजनों ने हार थक कर ठाकुर साहब को नीचे उतारा तो ट्रेक्टर बाहर निकला माताजी ने बिमार ठाकुर साहब को अपने चरण में शरण दी कुछ समय बाद ठाकुर साहब ठीक हो गए ठीक होने के बाद ठाकुर साहब ने यहाँ पर खूब दान दिया तथा चेत्र नवरात्रि में माताजी का मेला भरना भी चालू कराया आज उन्ही ठाकुर साहब की वजह से माताजी का मेला भरा जा रहा है इस मेले में कही जगह के यात्री पीड़ित दुखी दर्दी लूले लंगड़े अपाहिज गूंगे बहरे और अन्य मनो कामनाये पूरी करने के लिए माता के दरबार में दर्शन करने आते है, मनोतियां मांगते है, मनोतियां पूरी होने पर लोग माता को चढावे के रूप में नकदी, सोना, चांदी, अनाज, मुर्गा, बकरा दान करते है बलिदान नहीं यह जानकारी बोरडा गाँव के बड़े बुजर्गो ने प्रदान की पिछले कई सालों से गुर्जर समाज के लोग इस स्थान पर माताजी कि पूजा कर है वर्तमान में चावण्ड गुजर माताजी का पुजारी है।

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