प्रशांत किशोर ने क्यों दी राहुल गांधी को साल 1991 से सीखने की सलाह, जानें क्या हुआ था?

अगर आप यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश में नहीं जीते, तो वायनाड से जीतने का कोई फायदा नहीं है। अकेले केरल जीतकर आप देश नहीं जीत सकते। अमेठी छोड़ देने से भी गलत संदेश जाएगा।

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पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) का राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर दिया एक इंटरव्यू चर्चा में है। न्यूज एजेंसी PTI को दिए एक इंटरव्यू में कहा- 2024 लोकसभा चुनाव में अगर कांग्रेस को उम्मीद के अनुसार नतीजे नहीं मिलते हैं तो राहुल गांधी को राजनीति से ब्रेक लेने पर विचार करना चाहिए।

प्रशांत ने कहा- राहुल गांधी कांग्रेस को जिताने के लिए पिछले 10 साल से असफल प्रयास कर रहे हैं। इसके बावजूद वे न तो राजनीति से अलग हुए और न ही किसी और को पार्टी का चेहरा बनने दिया। मेरी नजर में यह लोकतांत्रिक नहीं है।प्रशांत ने कहा- जब आप (राहुल गांधी) पिछले 10 साल से एक ही काम कर रहे हैं और उसमें कोई सफलता नहीं मिली है, तो ब्रेक लेने में कोई बुराई नहीं है। आपको इसे किसी और को पांच साल के लिए करने देना चाहिए।

आपकी मां ने ऐसा ही किया था। प्रशांत ने कहा- पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी ने क्या किया। 1991 में उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली। कांग्रेस की कमान पीवी नरसिम्हा राव को दे दी। उसका रिजल्ट आप सबको पता है।

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राहुल को जिद नहीं करनी चाहिए
प्रशांत किशोर ने कहा- 2019 के चुनावों में पार्टी की हार के बाद राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फैसला किया था। उन्होंने तब लिखा था कि वह पीछे हट जाएंगे और किसी और को पार्टी की जिम्मेदारी देंगे, लेकिन उन्होंने जो लिखा, उसके विपरीत काम कर रहे हैं। कांग्रेस और उसके समर्थक किसी भी व्यक्ति विशेष से बड़े हैं। राहुल को जिद नहीं करनी चाहिए कि बार-बार विफलताओं के बावजूद वही पार्टी का नेतृत्व करेंगे।

प्रशांत ने राहुल के उन दावों पर सवाल उठाया जिसमें चुनाव में हार के लिए चुनाव आयोग, न्यायपालिका और मीडिया पर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह आंशिक रूप से सच हो सकता है, लेकिन पूरा सच नहीं है। उन्होंने कहा कि 2014 के चुनावों में कांग्रेस 206 सीटों से घटकर 44 सीटों पर आ गई थी जब वह सत्ता में थी और भाजपा का विभिन्न संस्थानों पर बहुत कम प्रभाव था।

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राहुल अपनी कमियों पर काम नहीं करते
प्रशांत किशोर ने कहा- दुनियाभर के अच्छे और बड़े नेताओं की एक विशेषता है। वे जानते हैं कि उनमें क्या कमी है। वे अपनी कमियों और खामियों को ठीक करने के लिए हमेशा कोशिश करते रहते हैं, लेकिन राहुल को लगता है कि वे सब कुछ जानते हैं। उन्होंने कहा- अगर आप मदद की जरूरत को नहीं पहचानते हैं, तो कोई भी आपकी मदद नहीं कर सकता। मेरा मानना है कि राहुल गांधी को लगता है कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो उन्हें जो सही लगता है उसे पूरा कर सके। यह संभव नहीं है।

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वायनाड जीतकर देश नहीं जीता जा सकता
प्रशांत ने राहुल को लेकर कहा कि कांग्रेस की लड़ाई उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में है, लेकिन उनके नेता मणिपुर और मेघालय का दौरा करते हैं। अगर आप यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश में नहीं जीते, तो वायनाड से जीतने का कोई फायदा नहीं है। अकेले केरल जीतकर आप देश नहीं जीत सकते। अमेठी छोड़ देने से भी गलत संदेश जाएगा। प्रशांत ने प्रधानमंत्री मोदी का उदाहरण देते हुए कहा- नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने गृह राज्य गुजरात के साथ-साथ उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने का विकल्प चुना था। इसलिए, क्योंकि आप भारत को तब तक नहीं जीत सकते जब तक आप हिंदी पट्टी को नहीं जीतते या हिंदी पट्टी में मौजूदगी दर्ज नहीं कराते।

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