ISRO News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) शनिवार (17 फरवरी) को मौसम की सटीक जानकारी देने वाला सैटेलाइट INSAT-3DS लॉन्च करेगा। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से शाम 5.30 बजे लॉन्च किया जाएगा। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ के अनुसार 10 नवंबर 2023 से INSAT-3DS के वाइब्रेशन टेस्ट शुरू हो गए थे। यह 6-चैनल इमेजर और 19-चैनल साउंडर के जरिए मौसम से जुड़ी जानकारी देगा। साथ ही सर्च और रेस्क्यू के लिए जमीनी डेटा और मैसेज रिले करेगा। बता दें, यह INSAT-3D सीरीज की सातवीं उड़ान है।
इससे पहले इसरो ने साल 2016 में इनसैट सीरीज का आखिरी सैटेलाइट INSAT-3DR लॉन्च किया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए एक ऑपरेशनल इनवायरोन्मेंट और साइक्लोन अलर्ट सिस्टम देना है। यह सैटेलाइट अभी पृथ्वी की सतह, समुद्र से किए जाने वाली लॉन्चिंग की निगरानी कर रहा है। यह डेटा टेलीकास्ट सेवाएं भी देता है।
क्या काम आ रहा है INSAT-3DR
INSAT-3DR से मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद मिल रही है। यह सैटेलाइट 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई से हर 26 मिनट में पृथ्वी की तस्वीरें खींच रहा है। साथ ही रेडिएशन, समुद्री सतह के तापमान, बर्फ की सतह, कोहरे की भी जानकारी देता है। यह जमीन से 70 किमी तक ऊंचाई तक टेंपरेचर नाप रहा है। इसने विदेशी एजेंसियों पर भारत के मौसम विभाग की निर्भरता कम की है।
GSLV-F14/INSAT-3DS Mission:
27.5 hours countdown leading to the launch on February 17, 2024, at 17:35 Hrs. IST has commenced. pic.twitter.com/TsZ1oxrUGq
— ISRO (@isro) February 16, 2024
इसरो की इनसैट (INSAT) सीरीज क्या है
इनसैट या इंडियन नेशनल सैटेलाइट सिस्टम, भारत की कम्यूनिकेशन, टेलीकास्ट, मौसम विज्ञान और सर्च एंड रेस्क्यू की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसरो ने बनाया है। यह जियो स्टेशरी सैटेलाइट्स की सीरिज है। इसकी शुरुआत 1983 में की गई। इनसैट एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ा लोकल कम्यूनिकेशन सिस्टम है।
क्या काम करेगा INSAT-3DS
- इनसेट-3डीएस भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किए जाने वाले तीसरी पीढ़ी के मौसम उपग्रह का मिशन है।
- इसे मौसम का अवलोकन करने, भविष्यवाणी व आपदा चेतावनी के लिए भूमि व महासागर सतहों की निगरानी करने के लिए डिजाइन किया गया है।
- अपने इस 16वें मिशन में GSLV का मकसद INSAT-3DS के मौसम संबंधी उपग्रह को जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट ऑर्बिट (GTO) में तैनात करना है।
- इसके बाद कक्षा की निगरानी करने वाला यान यह सुनिश्चित करेगा कि उपग्रह को भू-स्टेशनरी कक्षा में स्थापित किया जाए।
- यह मौसम पूर्वानुमान और आपदा चेतावनी के लिए भूमि और समुद्र सतह की बेहतर मौसम निरीक्षण और निगरानी के लिए डिजाइन किया गया है।
- इस उपग्रह से वर्तमान में संचालित इनसैट-3डी और इनसैट-3डीआर उपग्रहों के साथ मौसम संबंधी सेवाओं में वृद्धि होगी।
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