ताजमहल की इन तस्वीरों को देखने के बाद कहेंगे..”ओह..कितना गंदा है ताज..”

गोल्डीकाइरोनोमस कीट के समाधान के लिए रसायन शाखा में स्टडी चल रही है। इसे पूरा करने में एक वर्ष का समय लग सकता है। तापमान कम होने पर कीड़े का खतरा कम रहता है।

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Taj Mahal Green Colour News: आगरा की खूबसूरती यानी ताजमहल सुर्खियों में है। दरअसल अपनी संगमरमरी खूबसूरती के कारण ही दुनियाभर में प्रसिद्ध ताजमहल अपने भद्दे रंग के कारण चर्चा में है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रसायन शाखा ने बताया कि ताज की खूबसूरती पर गोल्डीकाइरोनोमस कीट का खतरा पिछले 9 वर्षों में लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे निपटने के लिए एएसआई की रसायन शाखा में स्टडी की जा रही है।

इसके पीछे का कारण एएसआई बताया कि यमुना नदी में पनप रहे ये कीट लाखों- करोड़ों की संख्या में ताजमहल पर हमला करते हैं। करीब 2 दिनों तक ये कीट जीवित रहते हैं। इनके मल और पैरों में यमुना की कीचड़ लगने से ताजमजल की सफेद दीवारें हरी और भद्दे रंग में बदल रही हैं।

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रसायन शाखा के निदेशक रहे डॉ. एमके भटनागर ने बताया कि गोल्डी काइरोनोमस बहुत सूक्ष्य कीट होता है। इसे खुली आंखों से आसानी से नहीं देखा जा सकता है। वर्ष 2015 में गोल्डीकाइरोनोमस कीट का प्रकोप पहली बार देखा गया। ये कीट यमुना में पानी का स्तर कम होना और प्रदूषण के बढने से पनपता है।

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ये अप्रैल से अक्टूबर के बीच पनपते हैं। मादा काइरोनोमस एक बार में एक हजार से अधिक अंडे देती है। ताजमहल की उत्तरी दिशा में यमुना नदी है। वहां से ये कीट उठते हैं और ताजमहल की संगमरमरी दीवारों पर छिपक जाते हैं। फिलहाल दीवारों को साफ पानी से धुलकर कपड़े से पौंछा जा रहा है। ये प्रक्रिया निरंतर जारी रहती है।

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सिर्फ ताजमहल पर ही क्यों अटैक
गोल्डीकाइरोनोमस कीट के समाधान के लिए रसायन शाखा में स्टडी चल रही है। इसे पूरा करने में एक वर्ष का समय लग सकता है। तापमान कम होने पर कीड़े का खतरा कम रहता है। ताजमहल यमुना नदी के किनारे बना हुआ है। गोल्डीकाइरोनोमस कम ऊंचाई पर उड़ते हैं। यही कारण है कि ये ताजमहल की दीवारों पर जाकर चिपक जाते हैं। इससे संगमरमर के पत्थरों पर हरे और काले रंग के धब्बे बन जाते हैं। इससे निपटने की योजना पर काम चल रहा है।


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