Sheetal Devi: भारत की बेटी ने रचा इतिहास, बिना हाथ के तीरंदाजी में जीते गोल्ड मेडल, देखें VIDEO

शीतल को जन्म से ही फोकोमेलिया नाम की बीमारी  है। इस बीमारी में अंग विकसित नहीं हो पाता है। शीतल देवी ठीक से धनुष नहीं उठा पाती थीं, लेकिन कुछ महीने उन्होंने लगातार अभ्यास किया

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Sheetal Devi: एशियाई पैरा खेल 2023 में जम्मू कश्मीर की रहने वाली शीतल देवी ने इतिहास रच दिया है। वह दोनों बाजु के बिना ही अपनी छाती के सहारे दांतों और पैर से तीरंदाजी करने वाली पहले भारतीय खिलाड़ी बन गई है। विश्व रैंकिंग में पांचवें स्थान पर काबिज राकेश कुमार ने स्वर्ण पदकों की हैट्रिक लगाई जिसके दम पर भारत ने एशियाई पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप में बुधवार को नौ पदक जीतकर दक्षिण कोरिया जैसे दिग्गज पर बढ़त बनाई।

वहीं, बिना भुजाओं वालीं 17 साल की महिला तीरंदाज शीतल देवी ने महिला कंपाउंड ओपन टीम में ज्योति के साथ मिलकर कोरिया की जिन यंग जियोंग और ना मि चोइ को 148-137 से हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया। शीतल ने मिश्रित टीम में वर्ग में राकेश के साथ इंडोनेशिया के टी आडी आयुडिया फेरेली और केन एस को 154-149 से हराकर मिश्रित टीम वर्ग में भी स्वर्ण हासिल किया।

शीतल को एक रजत भी मिला जब वह फाइनल में सिंगापुर की नूर सियाहिदाह से शूट ऑफ में हार गईं। दोनों 142-142 से बराबरी पर थी। शूट ऑफ में भी टाई रहा लेकिन चूंकि नूर के तीर सेंटर के ज्यादा नजदीक थे, इसलिए उन्हें विजेता घोषित किया गया।

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कैसी शुरु हुई शीतल की जर्नी
जुलाई में शीतल देवी ने पैरा विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में सिंगापुर की अलीम नूर एस को 144.142 से हराकर गोल्ड जीता था। अब तक भारत में कुल मिलाकर 94 पदक हो गए हैं, जिनमें बैडमिंटन खिलाड़ियों ने नौ पदक जीते हैं। वहीं शीतल ने राकेश कुमार के साथ मिलकर एशियाई खेल की मिश्रित कंपाउंड इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्होंने टीम इवेंट में रजत पदक जीता था।

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व्यक्तिगत कंपाउंड तीरंदाजी में सिंगापुर की अलीम नूर सयाहिदा को 144-142 से हराकर दूसरा स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उसके बाद भारत के लिए हांगझोऊ में हो रहे इस खेल में उन्होंने पहला पदक जीता। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाली बिना हाथों वाली पहली तीरंदाज हैं।

जन्म से है फोकोमेलिया बीमारी 
शीतल को जन्म से ही फोकोमेलिया नाम की बीमारी  है। इस बीमारी में अंग विकसित नहीं हो पाता है। शीतल देवी ठीक से धनुष नहीं उठा पाती थीं, लेकिन कुछ महीने उन्होंने लगातार अभ्यास किया और इसके बाद उन्होंने उनके लिए यह सभी चीजें आसान हो गई। शीतल का किसी ने साथ नहीं दिया, उसके बावजूद उनके घरवालों ने पूरा साथ दिया।

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शीतल ने 2 साल पहले धनुष और बाण के साथ अभ्यास करना शुरू किया था। उन्होंने साल 2021 में पहली बार भारतीय सेना के एक युवा प्रतियोगीता में भाग लिया था। शीतल ने अपने काम के बलबुते पर सभी कोच को अपनी ओर आकर्षित किया। इसके बाद सेना ने उनके आर्टिफिशियल हाथ के लिए बैंगलोर में मेजर अक्षय गिरीश मेमोरियल ट्रस्ट से संपर्क भी किया था, लेकिन आर्टिफिशियल हाथ उन्हें फीट नहीं हो पाया। इसके बाद उन्होंने शरीर के ऊपरी हिस्सों को मजबूत करने पर जोर दिया।


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