नई दिल्ली: हाल ही में स्पीड ब्रेकर को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में दर्ज आंकड़ो के अनुसार भारत में हर रोज दस लोगों की मौत स्पीड ब्रेकर की वजह से होती है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा साल 2015 में एक रिपोर्ट जारी कि गई थी। जिसमें देश भर में करीब 11000 लोगों की जान सड़क हादसों में गई, जिसमें से करीब 3409 मौतों की वजह स्पीड ब्रेकर बने थे।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में करीब 6073 मौतों की वजह स्पीड ब्रेकर ही थे। यह इस दौरान हुए हादसों का करीब पचास फीसद है। अकेले यूपी, तमिलनाडु और कर्नाटक में ही इस दौरान करीब 1794 मौतों के पीछे भी स्पीड ब्रेकर ही थे। अकेले यूपी में ही वर्ष 2014 में 1753 और 2015 में 990 मौत स्पीड ब्रेकर की वजह से हुई थीं। इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हत्या के मामलों में यूपी देश का नंबर वन राज्य है।
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक देश भर में वर्ष 2015 के दौरान कुल 32127 हत्या के मामले दर्ज किए गए जिसमें से करीब 15 फीसद मामले अकेले यूपी में ही दर्ज किए गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में वर्ष 2014 और 2015 के दौरान 15 और 17 मौत की वजह सड़कों पर बने स्पीड ब्रेकर थे। वहीं इस दौरान यहां सेना के करीब 32 और 33 जवान भी मारे गए थे।
हालांकि रिपोर्ट यह भी बताती है कि वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश के अंदर 2014 के मुकाबले कम एक्सीडेंट और मौत हुई हैं। ऐसा ही कुछ ट्रेंड बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात और कर्नाटक में भी देखने को मिलता है। सड़क हादसे या फिर यूं कहें कि स्पीड ब्रेकर को लेकर बनाई गई सरकारी एजेंसी इंडियन रोड कांग्रेस के मुताबिक देश भर में बने स्पीड ब्रेकर में से ज्यादातर में नियमों की अनदेखी की गई है। उनके मुताबिक जो स्पीड ब्रेकर ट्रकों के लिहाज से सही होते हैं वह मोटरसाइकिलों के लिए सही नहीं होते हैं ओर जो मोटरसाइकिलों के लिए ठीक होते हैं वह ट्रंकों के लिहाज से सही नहीं होते हैं।
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नियमों के मुताबिक स्पीड ब्रेकर की चाैडाई करीब 3.7मीटर और ऊंचाई करीब 0.10मीटर होनी चाहिए। यह ऐसे होने चाहिए कि करीब 25किमी की स्पीड से गाड़ी इनपर से गुजर सके। इसके अलावा ड्राइवर को पहचानने के मकसद से इनके ऊपर साइन भी होना चाहिए जिसे दूर से ही पहचाना जा सके। आईआरसी के मुताबिक इनको काले और सफेद रंगों से रंगा जाना चाहिए। यह ऐसे होने चाहिए कि रात में भी दिखाई दे सकें।
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