क्या होती है Deepfake AI टेक्नोलॉजी, कैसे बन सकते हैं इसका शिकार, समझिए आसान भाषा में सबकुछ

Deepware Scanner एक ऐसा टूल है जिसकी मदद से आप किसी इमेज या वीडियो को डीपफेक पता करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा भी ढेरों टूल ऑनलाइन उपलब्ध हैं।

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रश्मिका मंदाना का हाल में वायरल हुआ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डीपफेक वीडियो इतना चर्चा में आ गया है कि अब लोगों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से डर लगने लगा है। सोशल मीडिया पर लोग अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर एलन मस्क ने भी कहा है कि ये बेहद खतरनाक टेक्नोलॉजी है। भविष्य में साइबर क्राइम बढ़ने की बहुत उम्मीद है।

दुनिया भर में डीपफेक काफी तेजी से फैल रहा है। ओबामा से लेकर पुतिन और भारत के पीएम मोदी तक की कई भ्रामक वीडियो डीपफेक टेक्नोलॉजी से तैयार कर सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही है। रश्मिका मंदाना का फेक वीडियो वायरल होने के बाद गूगल पर डीपफेक टेक्नोलॉजी (Deepfake) के बारें में पढ़ा जा रहा है। चलिए आइए जानते हैं ये टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है और इसकी शुरुवात कैसे हुई थी।

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क्या होता है डीपफेक
किसी रियल वीडियो में दूसरे के चेहरे को फिट कर देने को डीपफेक नाम दिया गया है, इसमें वीडियो और ऑडियो को टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर की मदद बनाया जाता है। ये टेक्नोलॉजी ऐसी एल्गोरिदम और पैटर्न को लर्न करती है, जिसका इस्तेमाल मौजूदा इमेज या वीडियो में हेरफेर करके उसके और ज्यादा रियल बनाने में किया जाता है। इससे बनी वीडियो और इमेज पर लोग आसानी से भरोसा भी कर लेते हैं। ये टेक्नोलॉजी Generative Adversarial Networks (GANs) का इस्तेमाल करती है जिससे फेक वीडियो और इमेज बनाये जाते हैं।

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डीपफेक की पहचान कैसे करें?
अगर आपको लगता है कि कोई वीडियो या इमेज डीपफेक है तो उसमें हुए बदलावों पर नजर डाल सकते हैं। कई बार ऐसी वीडियो में आपको हाथ-पैर कि मूवमेंट पर ज्यादा नजर देनी चाहिए। कुछ प्लेटफॉर्म एआई जनरेटेड कंटेंट के लिए वॉटरमार्क या अस्वीकरण जोड़ते हैं कि कंटेंट एआई से जनरेट किया गया है। हमेशा ऐसे निशान या डिसक्लेमर को ध्यान से चेक करें।

डीपफेक टेक्नोलॉजी का आइडिया कहां से आया?
‘डीपफेक’ शब्द पहली बार 2017 के अंत में एक Reddit यूजर द्वारा बनाया गया था, जिसने अश्लील वीडियो पर मशहूर हस्तियों के चेहरे को सुपरइम्पोज करने के लिए डीप लर्निंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था। इस घटना ने महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया; 2018 तक, ओपन-सोर्स लाइब्रेरी और ऑनलाइन शेयर किए गए ट्यूटोरियल की बदौलत टेक्नोलॉजी इस्तेमाल में आसान हो गई थी। बाद के 2020 के दशक में, डीपफेक अधिक परिष्कृत हो गए और उनका पता लगाना कठिन हो गया।

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डीपफेक फैक्ट्स चैक्स ऐप्स
Deepware Scanner एक ऐसा टूल है जिसकी मदद से आप किसी इमेज या वीडियो को डीपफेक पता करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा भी ढेरों टूल ऑनलाइन उपलब्ध हैं। इसके अलावा AI or Not और Hive Moderation जैसे कई एआई टूल भी काम में आ सकते हैं, जो एआई-जनरेटेड कंटेंट का पता लगा सकते हैं।

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