जोशीमठ से भी बड़ी आपदा का खतरा अब नैनीताल पर, 33 साल से जारी है अवैध निर्माण

नैनी झील के बीचों बीच फॉल्ट लाइन गुजरती है। समय के साथ नैनीताल की संवेदशील पहाड़ियों पर निर्माण अधिक हो गया है। इससे भूस्खलन का खतरा है। कदम ना उठाए गए गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

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पिछले महीने हिमाचल में बारिश से शिमला, कुल्लू में भारी भूस्खलन ने तबाही मचाई थी। इससे पहले जोशीमठ को लेकर खबरें आईं थी। अब आल्मा पहाड़ी को लेकर चिंता जताई जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार को आल्मा पहाड़ी (Nainital Landslide) दरकने से 4 घर जमींदोज हो गए। इस घटना के बाद नैनीताल प्रशासन हरकत में आया। रविवार को उसने आल्मा पहाड़ी पर बने 250 घरों को खाली करवाना शुरू कर दिया।

नैनीताल जिला विकास प्राधिकरण का कहना है कि पहाड़ी पर 1989 से 2022 तक बहुत ज्यादा अवैध निर्माण हुए। विभाग के अधिकारी पंकज उपाध्याय ने कहा कि अब हम सख्ती कर रहे हैं। जो लोग घर खाली नहीं करेंगे, वहां ताले डाल दिए जाएंगे।

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जानकारों का कहना है कि, आल्मा पहाड़ी इसलिए ज्यादा संवेदनशील है, क्योंकि ये नैनीझील ऊपर बांई ओर सीधी खड़ी है। बीते 20 साल में इस पहाड़ी पर बेतहाशा निर्माण हुए हैं। जबकि ये पहाड़ी नीचे से भुरभुरी है। कई बार वैज्ञानिकों ने इसे लेकर चेतावनी भी जारी की, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से यहां निर्माण आज भी जारी है।

नैनीताल विकास प्राधिकरण ने इन घरों पर लाल निशान भी लगा दिए हैं। इन घरों को तीन दिन में खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। आल्मा सबसे संवेदनशील पहाड़ी है। यहां बसे 10 हजार परिवारों पर खतरा बढ़ रहा है। जानकारों के मुताबिक, नैनीताल की भौगोलिक संरचना अन्य पहाड़ी शहरों से अलग हैं।

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इसके बीचों-बीच से गुजरने वाले नैनीताल फॉल्ट के साथ ही कुरिया फॉल्ट, पाइंस फाल्ट, एसडेल फाल्ट, सीपी हॉलो फाल्ट समेत अन्य छोट-छोटे फाल्ट्स शहर को बेहद संवेदनशील बनाते हैं। इन फॉल्ट में भौगोलिक हलचल बढ़ रही है, जिससे पहाड़ियां कमजोर हो रही हैं। भविष्य में यहां जोशीमठ से भी बड़ी आपदा का खतरा है।

1880 में आल्मा पर भूस्खलन में मारे गए थे 151 लोग
वेबसाइट Scroll के मुताबिक, अंग्रेजी शासन के समय सन 1880 में इसी पहाड़ी में भारी भूस्खलन हुआ था, जिसमें 151 लोग मारे गए थे। इसमें 43 अंग्रेज अधिकारी व बाकी स्थानीय लोग शामिल थे। हादसे के बाद से अंग्रेजों ने पहाड़ी पर निर्माण बैन कर दिया था। आज इसी पहाड़ी पर करीब 10 हजार की आबादी बस चुकी है। आल्मा पहाड़ी के जिस इलाके में भूस्खलन हुआ है, वह पहले से असुरक्षित है।

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भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. बीएस कोटलिया का कहना है कि नैनी झील के बीचों बीच फॉल्ट लाइन गुजरती है। समय के साथ नैनीताल की संवेदशील पहाड़ियों पर निर्माण अधिक हो गया है। इससे भूस्खलन का खतरा है। कदम ना उठाए गए गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

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