इंद्रियों का दमन करके ही भक्ति परिपक्व हो सकती है- स्वामी कमलानंद गिरि

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हनुमानगढ़। जंक्शन श्री शिव शक्ति मंदिर, कल्याण धाम आश्रम सेक्टर 6 हनुमानगढ़ में चल रही सात दिवसीय राम कथा के चौथे दिन हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि ने नवधा भक्ति के बारे में बताया। उन्होंने कहा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जब वनवास काल में ऋषियों के आश्रमों से होते हुए जटायु को अपना धाम देकर शबरी के आश्रम में पहुंचे तो शबरी माता ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का बड़े भाव से स्वागत किया। भगवान श्री राम ने उस मौके पर माता शबरी को नवधा भक्ति का ज्ञान दिया। भगवान ने कहा कि पहली भक्ति जो भक्त लोग मेरी करते हैं उसका नाम है सत्संग, संतों की संगति करना।

दूसरी भक्ति भगवान की कथा के प्रति समर्पण भाव रखना। महाराज ने बताया की गुरु के चरणों की सेवा का नाम तीसरी भक्ति है और निरंतर परमात्मा का कपट रहित होकर नाम जपना चौथी भक्ति है। भगवान का दृढ़ता और विश्वास पूर्वक मंत्र जाप करना पांचवी भक्ति है। महाराज ने बताया मंत्र छोटा हो या बड़ा बराबर प्रभावशाली होता है मंत्र कौन सा है अधिक महत्व की बात नहीं है, किस भाव से जपा जा रहा है यह अधिक महत्व की बात है। मनु महाराज ने द्वादशाक्षर मंत्र का जाप किया, भगवान नारायण का मंत्र जपा और भगवान श्री राम की प्राप्ति हुई। महाराज ने यह भी बताया कि जप करने वाला मंत्र बदलते नहीं रहना चाहिए।

जो मंत्र बदलते हैं उनको कुछ प्राप्त नहीं हो सकता। ऐसे लोग या तो अशांत बने रहते हैं या फिर बाद में नास्तिक हो जाते हैं। कुछ दिन किसी देवता का कुछ दिन किसी देवता का जाप करने से कुछ हाथ नहीं लगता। जीवन में केवल एक इष्ट देव का मंत्र जपें वही कल्याण करने वाला होगा। महाराज ने छठी भक्ति इंद्रियों का दमन करना बताया, सातवीं भक्ति के बारे में बताया कि भगवान के सदृश सारे जगत को देखना और भगवान से अधिक संत के प्रति समर्पण भाव रखना यह सातवीं भक्ति है। आगे बताया कि आठवीं जो भक्ति है परमात्मा जितना दे दें इस पर संतोष करना, कभी दूसरों का दोष न देखना। और नवीं भक्ति के बारे में स्वामी जी ने बताया की छल और कपट रहित होकर सरल भाव से भगवान पर भरोसा अंतर ह्रदय से करना यही नवीं भक्ति है।

संयोजक राजकुमार भाटिया और भवानी शंकर शर्मा ने बताया की तीन दिनों की कथा और रह गई है, सभी लोग अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर कथा का लाभ लें। उक्त आयोजन को सफल बनाने में गिरधारी कालड़ा, पवन अग्रवाल,  हनुमान छीपा, पंडित जसवीर शर्मा, रमेश रहेजा, महेंद्र मदान, राजकुमार भाटिया, शरण दास, प्रेम अरोड़ा, डीपी शर्मा, ओपी सिंह, मुरारीलाल, गोविंद राम शर्मा, राज प्रकाश रोहिल्ला, रमेश दर्गन, हेतराम माली, डॉक्टर सत्यपाल, नंदलाल गुप्ता, साहब राम गोदारा, बलवीर राठौड़, शंकर जोशी व अन्य श्रद्धालु मौजूद थे।

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