इंसान होने बावजूद किन्नरों को हमारा समाज सामान्य दृष्टि से नहीं देखता। वो एक आम इंसान की तरह जिंदगी नहीं जी पाते, हालांकि उनकी जिंदगी से जुड़ी कई बातें हैं जिनसे आप अनजान होंगे। जैसे कि उनके विवाह से..। सवाल दिमाक में आता होगा कि किन्नर जिंदगी भर अविवाहित रहते हैं, मगर ऐसा नहीं है। किन्नर भी शादी करते हैं और किसी की दुल्हन बनते हैं। हालांकि यह सौभाग्य एक रात के लिए प्राप्त होता है और दूल्हा कोई आम इंसान नहीं बल्कि उनके अपने भगवान बनते हैं।
जी हां, और अब आप जानना चाहेंगे कि आखिर किन्नरों के भगवान हैं कौन तो वो अर्जुन और अनकी पत्नी नाग कन्या उलूपी से उत्पन्न संतान इरावन हैं जो अरावन के नाम से प्रसिद्ध हैं। अब यह किन्नरों के भगवान कैसे बने, इसकी भी एक कहानी है और यह महाभारत युद्ध से जुड़ी है।
कहते हैं महाभारत युद्ध के समय पांडवों ने मां काली की पूजा की। फिर एक राजकुमार की बलि देनी थी। इरावन बलि के लिए आगे आए, लेकिन उन्होंने शर्त रखी की वह शादी के बाद ही बलि पर चढ़ेंगे। मगर इरावन से कोई भी कन्या शादी करने को राजी न हुई, क्योंकि उसकी मृत्यु अटल थी। अब पांडवों के पास यह समस्या आ गई कि कौन इरावन से शादी करेगा और अगले दिन विधवा हो जाएगा।
इसके बाद उनकी समस्या को सुलझाने श्री कृष्ण सामने आए। उन्होंने इरावन की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए पुन: मोहिनी रूप लिया और उसके साथ परिणय सूत्र में बंध गए। मगर शादी के अगले दिन मोहिनी रूपी श्री कृष्ण विधवा हो गए तो उन्होंने विलाप किया और विधवा रूप में सभी रीति-रिवाजों का पालन भी किया। इसी घटना को याद करते हुए किन्नर इरावन को अपना भगवान मानते हैं और उनसे एक दिन के लिए शादी कर अगले दिन विधवा हो जाते हैं।
अगर आप किन्नरों की शादी का जश्न देखना चाहते हैं तो तमिलनाडु के कूवगाम में हर साल तमिल नव वर्ष की प्रथम पूर्णिमा से किन्नरों की शादी का सामारोह आरंभ होता है और यह 18 दिनों तक खूब धूम-धाम से मनाया जाता है। 17 वें दिन किन्नर शादी करते हैं, नई-नवेली दुल्हन की तरह सजते-संवरते हैं। किन्नरों के पुरोहित उन्हें मंगलसूत्र डालते हैं और शादी हो जाती है। वहीं शादी के अगले दिन इरावन देव की मूर्ति को शहर में घुमाकर तोड़ दिया जाता है। इसके साथ ही किन्नर सुहागन से विधवा हुई स्त्री की तरह अपना श्रृंगार छोड़ विधवा बनकर विलाप करने लगते हैं।
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