श्रद्धालुओं ने लगाई धर्म, अध्यात्म और आत्मिक विकास की त्रिवेणी में डुबकी
जयपुर। विश्व जागृति मिशन (विजामि) के संस्थापक और देश के जाने-माने अध्यात्मवेत्ता आचार्य श्री सुधांशुजी महाराज ने कहा कि जीवन की दशा ठीक करनी है तो जिंदगी की दिशा ठीक करनी होगी। व्यथा को दूर करने के लिए व्यवस्थाओं को ठीक करने की तकनीक को सीखना होगा।
विजामि प्रमुख श्री सुधांशुजी महाराज छोटी काशी के रूप में प्रसिद्ध गुलाबी नगरी जयपुर में जवाहर नगर स्थित एमपीएस स्कूल के तक्षशिला ऑडिटोरियम में जयपुर मंडल की ओर से आयोजित विशेष भक्ति सत्संग में बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओ और गणमान्यजनों को सम्बोधित कर रहे थे।
जीवन में स्टियरिंग पर नियंत्रण और ब्रेक लगाना की कला सीखें
श्री सुधांशुजी महाराज ने वेद और उपनिषदो के सूत्रों की सरल व्याख्या करते हुए हमारे पवित्र ग्रंथों में संचित कुछ विशेष संदेशों को जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने बताया कि धर्म का सार यहीं है कि हम स्वयं अपने और अपनी संतान के लिए जैसा व्यवहार चाहते हैं, ठीक वैसा ही व्यवहार मनुष्य मात्र के लिए ही नहीं, प्राणीमात्र के साथ भी करें। विजामि प्रमुख ने धर्म की ओर लौटने का आह्वान करते हुए कहा कि जीवन में गति तो होनी चाहिए, मगर इसकी स्टियरिंग अपने हाथ में रहे और किसी नाजुक मोड़ पर ब्रेक कैसे लगाना है, कैसे खुद पर नियंत्रण करना है, यह कला भी आनी चाहिए, यह जीवन की दशा बदलने और व्यथा को दूर करने के लिए जरूरी है। गुरुवर ने कहा कि आज जिंदगी की गति बेतहाशा हो गई है, इस भागदौड़ के बीच व्यक्ति में ‘लाइफ को बैलेंस‘ करने का गुण होना बहुत जरूरी है। धार्मिक व्यक्ति को खुद पर ब्रेक लगाना आता है। वह विपरीत परिस्थितियों में धैर्य के साथ स्थिर होकर निर्णय लेता है, ऐसे व्यक्ति के व्यवहार में धर्म परिलक्षित होता है।
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