700 साल बाद ऐसा मौका आया है जब महाशिवरात्रि पर बना पंचमहायोग, जानें क्या करें इस दिन

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कल महाशिवरात्रि (mahashivratri) है। 700 साल बाद ऐसा मौका आया है जब महाशिवरात्रि पर पंच महायोग बन रहा है। पंचांग के हिसाब से फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चौदस और तेरस दोनों तिथियां है। ग्रंथों में ऐसे संयोग को शिव पूजा के लिए बहुत खास बताया है। इन ग्रह योग में नई शुरुआत और खरीदारी से फायदा मिलेगा।

व्रत और पूजन विधि
भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए श्रद्धालु  प्रातः स्नानादि करके शिवमंदिर जाएं ।पूजा में चन्दन  ,मोली ,पान, सुपारी,अक्षत, पंचामृत,बिल्वपत्र,धतूरा,फल-फूल,नारियल,इत्यादि शिवजी को अर्पित करें। भगवान शिव को अत्यंत प्रिय बेल को धोकर चिकने भाग की ओर से चंदन लगाकर चढ़ाएं ।

‘ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का उच्चारण जितनी बार हो सके  करें एवं शिवमूर्ति और भगवान शिव की लीलाओं का चिंतन करें। रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की  पूजा अर्चना करनी चाहिए ।अभिषेक के जल में पहले प्रहर में दूध, दूसरे में दही ,तीसरे में घी, और चौथे में शहद को शामिल करना चाहिए।

दिन में केवल फलाहार करें, रात्रि में उपवास करें। हांलाकि रोगी, अशक्त और वृद्धजन रात्रि में भी फलहार कर सकते है । इस दिन शिव की पूजा करने से जीव को अभीष्ट फल की प्राप्ति अवश्य होती है।

शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाते वक्त बोले ये मंत्र
त्रिदल त्रिगुणाकार त्रिनेत्र व त्रिधायुधम् ।
त्रिजन्मपापसंहार बिल्वपत्र शिवार्पणम् ||

अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम् । कोटि कन्या महादान बिल्व पत्र शिवार्पणम् ॥

दर्शन बिल्वपत्रस्य स्पर्शन पापनाशनम् । अघोर पाप संहार बिल्व पत्र शिवार्पणम् ॥