हनुमानगढ़। बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति हनुमानगढ़ एवं जन संगठनों ने बुधवार को जिला कलैक्ट्रैट पर प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को आम जनता पर बढ़ते बिजली बिलों के भार और बिजली बिलों और प्रक्रिया संबंधित जायज मांगों के बाबत ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में सामाजिक संगठनों से जुड़े प्रतिनिधि के रूप में एडवोकेट कुलदीप औलख ने बताया कि लम्बे समय से राजस्थान की जनता बिजली बिलों में मनमानी सूट से त्रस्त है। राजस्थान की जनता लगभग चार साल से बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति की अगुवाई में आपकी सरकार और बिजली कम्पनियों की मिलीभगत से उपभोक्ताओं के साथ हो रहे इस जुल्म और शोषण के खिलाफ एकजुट होकर इस लूट के विरुद्ध चला रही है। परन्तु आपकी सरकार में बिजली कंपनियों ने कोरोना महामारी की मार झेल रही म मेहनतकश जनता मजदूर-किसान के दुःख-तकलीफ कम करने की बजाय पुलिस दमन का सहारा लेकर सैकड़ों उपभोक्ताओं के बिजली कनेक्शन काटे है और आदोलन के कार्यकर्ताओं पर झूठे मुकदमे लगाए गए है जो केवल और केवल जायज, न्यायपूर्ण और पारदर्शी बिजली बिलों और प्रक्रिया की मांग कर रहे थे।
कोरोना महामारी में भारत सरकार द्वारा बिजली कम्पनियों को 90 हजार करोड़ रुपए का राहत पैकेज मिला जिसका लाभ आम उपभोक्ता को मिलना चाहिए था बकाया बिजली बिलों को माफ किया जाना चाहिए पा परन्तु इन कम्पनियों ने राहत के तौर पर एक फूटी कौड़ी तक उपभोक्ताओं को नहीं दी बल्कि हजारों लाखों के नाजायज फर्जी बिल थमा दिये। संयोजक शैलेन्द्र नेठराना ने बताया कि सरकार और प्रशासन में जिम्मेदार लोगों की गतिविधियों और असक्रियता की वजह से सूत सरचार्ज के नाम पर आम उपभोक्ताओं पर 10200 करोड़ थोप दिया गया। जो किसी भी तरह से जायज नहीं है और इस निर्णय ने पहले से कमजोर आर्थिक स्थिति में आम जनता के कंपों पर बोझ बढ़ाने का काम किया है। राजस्थान सरकार ने गत चुनावी घोषणाओं के दौर में यह वादा किया था की बिजली बिलों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी लेकिन आपने वादा खिलाफी की। पिछले वित वर्ष में आपने प्रति माह 50 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की थी लेकिन तरह तरह के चार्ज और सरचार्ज लगाकर जनता को मिली राहत को प्रभावहीन कर दिया। राजस्थान की आम जनता सरकार से निराश हो गई है और आगामी चुनावों में अन्य विकल्पों की तलाश कर रही है। आपको चाहिए की आगामी बजट घोषणा में बिजली उपभोक्ताओं की मांगों के विशेष प्राथमिकता है ताकि आम जनता पर नाजायज आर्थिक बोझ काम हो और उपभोक्ता महगाई के इस दौर अपने थोड़े से वेतन का इस्तेमाल रोजाना की मूलभूत जरूरतों पर कर सके। मुख्य मांगों में राजस्थान में प्रत्येक परिवार को हर माह 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाए। प्यूल सरचार्ज के नाम पर आम जनता पर थोपे गए 10306 करोड़ रुपये के निर्णय को खारिज किया जाए।
कोरोना महामारी के उपरांत बकाया सभी उपभोक्ताओं के बिजली बिलों को तुरंत प्रभाव से माफ किया जाए काटे गए कनेक्शन पुनः बहाल किए जाए। स्थाई सेवा शुल्क प्रसून सरचार्ज व अन्य के रूप में वसूली जा रही राशि को तत्काल बंद किया जाए व बढ़ी हुई बिजली दरें कम की जाए। बिजली बिलों में भारी अनियमितताओं को तुरंत प्रभाव से ठीक किया जाए। खराब और तेज गति से चलने वाले बिजली मीटरों को बदला जाए ऐसे पटिया मीटर बनाने वाली कंपनियों का टेंडर निरस्त किया जाए। पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए उपभोक्ता प्रतिनिधियों के भागीदारी राहित विशेष कमेटी का गठन किया जाये। 6. बिजली विभाग और प्राइवेट कंपनियों की तानाशाही, लूट और घोटालों पर तुरंत रोक लगायी जाये। बिजली (संशोधन) अधिनियम 2010 को खारिज करवाया जाए व पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के नाम पर निजीकरण पर रोक लगाई जाए। आदोलनरत ग्रामीणों पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं। इस मौके पर संयोजक शलेन्द्र नेठराना, कुलदीप सिंह औलख, रमेश, हरदीप अहमदपुरा, संदीप, सुरेन्द्र नेठराना, लाली देवी, रवि सीला, संदीप व अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।
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