डोनाल्ड ट्रंप को झटका, अमेरिकी कोर्ट ने ‘एंट्री बैन’ फैसले को रद्द किया

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वॉशिंगटन: मुस्लिमों देशों के नागरिकों को अमेरिका में एंट्री पर लगे बैन को हटा लिया गया है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि शुक्रवार के इस अदालती कदम के बाद सरकारी अधिकारियों ने तत्काल विमानन कंपनियों से संपर्क साधना और ऐसे कदम उठाने शुरू कर दिए ताकि उन लोगों को यात्रा की अनुमति दी जा सके, जिन्हें पूर्व में रोक दिया गया था। इस बीच, व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि न्याय विभाग जल्द इस अदालती आदेश को चुनौती देगा।
ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, चूंकि एक जज ने प्रतिबंध हटा दिया है, कई सारे बुरे और खतरनाक लोग हमारे देश में घुस सकते हैं। एक भयानक फैसला। व्हाइट हाउस ने बताया कि न्याय विभाग इस फैसले को चुनौती देगा।

इसके बाद ट्रंप ने बयान जारी कर फिर कहा कि उनका फैसला अमेरिका से आतंकवादियों को दूर रखने वाला था। ट्रंप की ओर से जारी बयान में कहा गया, मैं ये कभी नहीं भूलूंगा कि मेरी जिम्मेदारी अमेरिका के लोगों को सुरक्षित और आजाद रखने की है। इसलिए मैंने पिछले हफ्ते आदेश पर हस्ताक्षर किया था ताकि आतंकवादी अमेरिका से दूर रहें।

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता सीन स्पाइसर ने शुक्रवार रात एक बयान में कहा, ‘न्याय विभाग (DOG) इस अपमानजनक आदेश पर रोक लगाने की अपील करेगा और राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश का बचाव करेगा, जो कि हमें लगता है कि वैध और उचित है।’ हालांकि चंद मिनट बाद इसी तरह का एक बयान जारी किया गया, जिसमें अपमानजनक शब्द को हटा दिया गया था।
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अमेरिकन सिविल लिबर्टी यूनियन (ACLU) के निदेशक, उमर जदवात ने कहा, हम देख रहे हैं कि न्यायालय ने राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लागू आदेश को असंवैधानिक करार दे दिया। उन्होंने कहा, जाहिर तौर पर और भी मुकदमे आएंगे, लेकिन यह वाकई में इस देश के लोगों के लिए और अन्य देशों के लोगों के लिए अच्छी खबर है, जिन्हें इस प्रबिंध के जरिए गलत तरीके से धार्मिक आधार पर निशाना बनाया गया है।

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बैन के बाद एयरपोर्ट पर लोग ( फोटो Reuters)

डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने भी तत्काल रॉबर्ट के आदेश की प्रशंसा की। इसमें सीनेट के अल्पमत के नेता चुक शूमर भी शामिल हैं। शूमर ने एक बयान में कहा, ‘यह संविधान की और हम सभी की जीत है, जो मानते हैं कि अमेरिकी विचारधारा से उलट यह आदेश हमें सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता। राष्ट्रपति ट्रंप को अदालत का यह फैसला मानना चाहिए और उन्हें अपना कार्यकारी आदेश हमेशा के लिए वापस ले लेना चाहिए।