संवाददाता शाहपुरा।- शाहपुरा भीलवाड़ा शाहपुरा राजकीय जिला चिकित्सालय जो अब करोड़ों रुपए खर्च कर मरीजों को सुविधा के नाम पर जिला चिकित्सालय है लेकिन मरीज व उनके परिजनों को निशुल्क इलाज देने के नाम पर हॉस्पिटल के बाहर निजी डॉक्टर एवं जांच लेबो के हवाले कर देते हैं और हर महीने लाखों रुपए की मरीजों की जेब काटी जाती है जानकारी के अनुसार शाहपुरा जिला चिकित्सालय में जांच करने की विशाल लैब है और सभी तरह की आधुनिक मशीनें उपलब्ध है और जांच भी होती हैलेकिन शाहपुरा जिला चिकित्सालय में सरकारी निशुल्क योजनाएं होने के बावजूद भी मरीज की बीमारी मालूम करने के लिए डॉक्टरों के अभाव में चिकित्सालय से बाहर निजी लेबो के यहां जाकर सैकड़ों हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं.
शाहपुरा चिकित्सालय मैं 33 डॉक्टर के पद है लेकिन वर्तमान में 8 डॉक्टर ही मौजूद है चिकित्सालय में हमेशा 500 मरीज औसतन आते हैं चिकित्सालय की काफी साल समय से सोनोग्राफी ऑपरेटर मौजूद नहीं है शाहपुरा जिला चिकित्सालय बच्चों की डिलीवरी को लेकर राजस्थान और भारत में अव्वल है लेकिन सोनोग्राफी मशीन ऑपरेटर नहीं होने से प्रत्येक महिला मरीज एवं गंभीर रोग वाले को महीने में दो बार आठ सौ से बारह सौ रुपए खर्च करने पड़ते हैं 1 दिन में लगभग 100 से ऊपर मरीज सोनोग्राफी की जांच पर आधारित है जो अस्पताल से बाहर निजी सेंटरों पर करवाते हैं जिला अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने से आंख नाक कान हड्डी सर्जरी सर्दी जुकाम बुखार बच्चे बूढ़े जवान महिलाएं आदि जांच करने के लिए एवं इलाज के लिए निजी डॉक्टर निजी सोनोग्राफी सेंटर निजी जांच लेबोरेटरी का सहारा लेना पड़ता है।
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