Tech Layoffs: दुनियाभर दिग्गज कंपनियां जैसे अमेजन, ट्विटर, फेसबुक आदि बड़ी संख्या में अपने कर्मचारियों की छंटनी करने में लगी है। इसी बीच टेक कंपनियों में हुई अबतक की छंटनी का एक डेटा सोशल मीडिया पर चर्चा में है। जिसमें बताया है कि दुनिया भर में कम से कम 853 टेक्नोलॉजी कंपनियों ने अब तक लगभग 137,492 कर्मचारियों की छंटनी की है। क्लाउड आधारित डाटाबेस, लेऑफ.एफवाई के आंकड़ों के अनुसार, 1,388 टेक कंपनियों ने कोविड-19 की शुरुआत के बाद से अब तक कुल 233,483 कर्मचारियों को निकाल दिया है।
इन आंकड़ों में 2022 तकनीकी क्षेत्र के लिए सबसे खराब साल रहा है। इस साल नवंबर के मध्य तक यूएस टेक सेक्टर में 73, 000 से अधिक कर्मचारियों को मेटा, ट्विटर, सेल्सफोर्स, नेटफ्लिक्स, सिस्को और रोकू जैसी अन्य टेक कंपनियों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नौकरी में कटौती की गई है। क्रंचबेस के अनुसार, रॉबिनहुड, ग्लोसियर और बेटर कुछ ऐसी टेक कंपनियां हैं, जिन्होंने 2022 में अपने कर्मचारियों की संख्या कमी की है।
भारतीय स्टार्टअप को तगड़ा झटका-
भारत में लगभग 16,000 कर्मचारियों को BYJU’S, अनअकैडमी और वेदांतु जैसी एडटेक कंपनियों के नेतृत्व में लगभग 44 स्टार्टअप्स द्वारा जाने के लिए कहा गया है, क्योंकि वीसी (वेंचर कैपिटल) फंडिंग लगातार कम हो रही है। भारत में कर्मचारियों की छंटनी करने वाले अन्य टेक स्टार्टअप और यूनिकॉर्न में ओला, कार्स24, मीशो, लीड, एमपीएल, इनोवैकर, उड़ान जैसी कंपनियां शामिल हैं। इस बीच हजारों संविदा कर्मचारियों को भी जाने दिया गया है, जिससे 2022 तकनीकी क्षेत्र में श्रमिकों के लिए सबसे कठिन वर्ष बन गया है।
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रेजरपे के बिजनेस बैंकिंग प्लेटफॉर्म, रेजरपेएक्स पेरोल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय स्टार्टअप पिछले 12 महीनों में भारी भर्ती कटौती से गुजर रहे हैं और स्थायी कर्मचारियों की भर्ती में 61 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट आई है। PwC इंडिया की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई-सितंबर की अवधि में भारत में केवल दो स्टार्टअप, शिपरॉकेट और वनकार्ड ने यूनिकॉर्न का दर्जा (मूल्य 1 बिलियन डॉलर और उससे अधिक) प्राप्त किया।
क्यों छाया टेक कंपनियों पर अचानक अंधेरा-
जानकारों का मानना है कि कोरोना महामारी के दौरान टेक कंपनियों में अचानक से उछाल आया और अतिरिक्त भर्तियां हुई थीं और जैसे ही कोरोना का असर कम हुआ वैसे ही उसका नतीजा उम्मीद के उलट नजर आया। अब कंपनियों के सामने बढ़ी हुई ब्याज दरें भी हैं, जिसके कारण उधार लेने की क्षमता घट गई है। “वैश्विक आर्थिक संकट के कारण पूरी दुनिया में कंपनियों के लिए तेजी से बदलते हालात का सामना करना मुश्किल हो गया है।
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कंपनियों ने लॉकडाउन में ऑनलाइन काम के चलते पहले जरूरत से ज्यादा लोगों को नौकरी दी और अब जब मार्केट में गिरावट आ रही है, तो कंपनियां बैलेंस बनाने के लिए लगातार छंटनी कर रही हैं। साथ ही बढ़ती आर्थिक मंदी के बीच अपने खर्च को कम करने के लिए भी लगातार छंटनी की जा रही है।
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