एग्रीकल्चर लेक्चरर भर्ती में शिक्षा विभाग द्वारा  तीन विषयों की बाध्यता हटाने का विरोध

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हनुमानगढ़।आरपीएससी द्वारा जारी की गई व्याख्याता भर्ती परीक्षा में कृषि विषय के मात्र तीन विषयों को ही शामिल किये जाने के विरोध में शुक्रवार परीक्षा से वंचित अभ्य्यार्थियो ने मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन विधायक बलवान पुनिया को सौंपा।ज्ञापन में बताया गया है कि आरपीएससी परीक्षा में एग्रोनॉमी, हॉर्टिकल्चर व पशुपालन को पात्र माना गया है जबकि 30 वर्षों बाद 2018 व्याख्याता भर्ती में शिक्षा निदेशालय द्वारा विषय विशेषज्ञों की समिति बनाकर सभी कृषि स्नातकोत्तर विषयों को पात्र माना गया था परंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि 2018 व्याख्याता भर्ती में सभी कृषि विषयों को पात्रता मिलने के बावजूद भी अब 2022 में केवल तीन कृषि विषय को ही विज्ञप्ति जारी कर शामिल किया जा रहा है, जिससे राजस्थान के हजारों छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है। विज्ञप्ति जारी होने के दिन से ही छात्र-छात्राएं निदेशालय व आरपीएससी में पहुंच गए थे । निदेशालय में काफी भागदौड़ करने के बाद पता चला कि 26 जुलाई 2021 को नया नियम बन गया जिसका कोई आधार नहीं था। 26 जुलाई 2021 को नियम बनने से पहले राजस्थान के हजारों छात्र-छात्राओं ने बीएड में भी प्रवेश ले लिया था जिसके एक लाख से डेढ़ लाख रुपए तक फीस भी भरी जा चुकी है। फिर छात्रों के द्वारा बार-बार निदेशालय जाने से पता चला कि नियम बनाने में कोई गलती हो गई थी उसके बाद भी अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री  बीडी कल्ला से मुलाकात की तो उन्होंने कहा कि बीएड तो है ना और 2018 में सभी कृषि विषयों को लिया गया है तो इसमें आपको लेना होगा उनका सकारात्मक व संवेगात्मक रवैया रहा।
उन्होंने क्रमांक Special No. 100/BKN/21/05/2022 को निदेशालय इसमें संशोधन के आदेश शदिए उसके बाद में निदेशालय द्वारा 3 जून 2022 को समकक्षता निर्धारण समिति व कृषि विशेषज्ञों द्वारा समिति बनाई गई ‌।  जिसमें 5 कृषि विश्वविद्यालयों, विद्यालयों के प्राचार्य उपस्थित थे । उन्होंने भी सभी विषयों को सुसंगत मानते हुए 2022 में शामिल करने को कहा, फिर उन्होंने 16 जून 2022 को सचिवालय में समकक्षता निर्धारण समिति की रिपोर्ट भेजी जो आज भी सचिवालय में कैबिनेट अनुमोदन के लिए प्रसिद्ध है। उसके बाद में 12 अगस्त को सचिवालय द्वारा संशोधन के संदर्भ में निदेशालय को ड्राफ्ट भेजा गया और निदेशालय द्वारा 16 अगस्त को संशोधन प्रारूप वापस सचिवालय भेज दिया गया । उसके बाद में परीक्षा को मद्देनजर रखते हुए संयुक्त सचिव द्वारा 23 अगस्त को एक पत्र जारी किया गया । जिसमें लिखा गया कि 2018 की भांति इसमें भी सभी कृषि विषयों को शामिल किया जाए । निदेशालय ने आरपीएससी को पत्र भेजकर कृषि के सभी विषयों को शामिल किया जाए । दुर्भाग्य की बात यह रही कि संयुक्त शासन सचिव व निदेशालय द्वारा भेजे गए आदेशों को आरपीएससी ने दरकिनार कर जल्दी से जल्दी परीक्षा कराने पर जोर दिया है ।  जबकि हजारों कृषि छात्रों के साथ यह अन्याय है।
इस प्रजातंत्र में आरपीएससी की हठधर्मिता और तानाशाही से जो ग्रामीण परिवेश के B.Ed.और कृषि स्नातकोत्तर छात्र-छात्राएं इस भर्ती परीक्षा से वंचित हो रहे हैं और पहली बात तो यह कि जब 2018 में सभी कृषि विषयों को शामिल किया गया तो 2021 में ऐसा कौन सा नियम बनाने की जरूरत आ गई थी जिसका कोई आधार नहीं है और अगर पहले यह नियम बना दिया था तो 3 जून 2022 को समकक्ष का निर्धारण समिति की क्या जरूरत पड़ी थी। इसमें राजस्थान के हजारों कृषि छात्र छात्राओं को परीक्षा से वंचित किया जा रहा है। अगर छात्र छात्राओं को आरपीएससी द्वारा सरकार के आदेशों के बावजूद भी शामिल नहीं किया जाता है तो सरकार व आरपीएससी के खिलाफ बहुत बड़ा आंदोलन किया जाएगा और गूंगी बहरी सरकार और राजस्थान के गांव में इसके प्रति जो हजारों छात्र-छात्राएं अन्याय को सहन नहीं करेंगे इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।
छात्र – छात्राओं ने कहा कि हम मीडियाकर्मियों के भी बहुत आभारी हैं जो हमारा अन्याय के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा सहयोग कर रहे हैं । हम उम्मीद करते हैं कि मीडिया कर्मियों द्वारा हमारी बात सीएम अशोक गहलोत तक पहुंचेगी और भर्ती को यथावत रखकर जल्द से जल्द कैबिनेट अनुमोदन हो और राजस्थान के हजारों कृषि छात्र-छात्राओं को संपूर्ण भर्ती परीक्षा में शामिल किया जाए।इस दौरान पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष महिंद्र शर्मा, केवल काकड़, सुनीता चौधरी, पवन बिश्नोई, पवन बेनीवाल, रवीना गहलोत, मुकेश मंडा, कुलदीप, जितेंद्र, सूरज स्वामी, नरेश ताखर, पृथ्वी चौधरी, विनोद, शोभित,भूपेंद्र ज्यानी आदि मौजूद थे।

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