संवाददाता शाहपुरा शाहपुरा भीलवाड़ा शाहपुरा रियासत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा राज्य प्रजामंडल आंदोलन के संस्थापक सदस्य स्वर्गीय लक्ष्मी दत्त कांटिया की सोलवीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम शाहपुरा में आयोजित किया गया। विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि जनप्रतिनिधि तथा आमजन द्वारा श्रद्धा पूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित की तत्पश्चात राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कुंड गेट में वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें उपखंड अधिकारी सुनीता यादव तहसीलदार नारायण लाल जीनगर देवी लाल बेरवा शामिल हुये । दोपहर बाद श्री केसरी सिंह बारहठ स्मारक समिति, आर्य समाज शाहपुरा,अमर शहीद प्रताप सिंह बारहठ स्मृति संस्थान, पत्रकार संघ द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई। स्वर्गीय कांटिया के पौत्र अमित अनुज कांटिया ने बताया कि 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में, महात्मा गांधी के आह्वान पर अजमेर सेंट्रल जेल में करीब 16 महीने नजरबंद रहे।
इस दौरान फांसी घर में उन्हें रखा गया और बहुत यातनाये दी गई। 16 महीने बाद बिना किसी शर्त के रिहा हुए। तत्कालीन स्टेट को अल्टीमेटम देकर स्वराज की मांग की।अंग्रेज सरकार द्वारा गिरफ्तार करने के दौरान उनकी समस्त संपत्ति अंग्रेज सरकार द्वारा जप्त कर दी गई।इस दौरान अजमेर सेंट्रल जेल में 18 दिन तक सत्याग्रह किया और अनशन किया। अन्न जल त्याग कर राजनीतिक बंदियों की मांगों को अंग्रेजी सरकार को मानने को मजबूर किया।सन 1946 में महात्मा गांधी के बुलावे पर अजमेर गए।उन्होंने राज्य प्रजामंडल आंदोलन से जुड़ने का आह्वान किया।स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अर्जुन लाल सेठी, हरीभाऊ उपाध्याय, बालमुकुंद बिस्सा, रामनारायण चौधरी, माणिक्य लाल वर्मा, मोहनलाल सुखाड़िया, विजय सिंह पथिक के साथ निकट संपर्क में रहे।स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को मिलने वाली किसी भी सहायता, मदद, पेंशन का उपयोग नहीं किया।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को मिलने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान ताम्रपत्र होने दो बार दिया गया दोनों बार लेने नहीं गए जिसके बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर तत्कालीन जिला कलेक्टर ने उन्हें घर पर आकर सम्मान प्रदान किया।
ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुक, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।