सिंह,कन्या,तुला और वृश्चिक राशि वाले कैसे करें जन्माष्टमी की पूजा, 400 साल बाद बन रहे हैं 8 शुभ योग

अष्टमी तिथि आज यानी 18 अगस्त को रात 9 बजकर 21 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं अष्टमी तिथि 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

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इस साल जन्माष्टमी (krishna janmashtami 2022) कुछ जगह 18 और कहीं 19 अगस्त को मनाई जा रही है। मथुरा, वृंदावन और द्वारिका के साथ ही इस्कॉन मंदिरों में 19 तारीख को ही मनाई जाएगी। ज्योतिषी भी 19 तारीख को श्रेष्ठ बता रहा है इसलिए उत्तर भारत में ज्यादातर जगहों पर 19 अगस्त को ही कृष्ण जन्मोत्सव मनेगा। इस दिन तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों से मिलकर 8 शुभ योग बन रहे हैं। ज्योतिषियों के मुताबिक ऐसा 400 साल बाद हो रहा है।

दरअसल हिंदू धर्म में कोई भी त्योहार या व्रत तिथि के आधार पर मनाई जाती है ऐसे में उदया तिथि में अंतर आने की वजह से व्रत-त्योहार में दिनों का फर्क हो जाता है। अष्टमी तिथि आज यानी 18 अगस्त को रात 9 बजकर 21 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं अष्टमी तिथि 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

19 अगस्त को महालक्ष्मी, बुधादित्य, ध्रुव और छत्र नाम के शुभ योग रहेंगे साथ ही कुलदीपक, भारती, हर्ष और सत्कीर्ति नाम के राजयोग बन रहे हैं। इस तरह जन्माष्टमी पर इन आठ योगों का महासंयोग पिछले 400 सालों में नहीं बना। इन योगों में पूजा करने से पुण्य फल और बढ़ जाएगा। खरीदारी के लिए भी पूरा दिन शुभ रहेगा।

श्रीकृष्ण का यह 5249वां जन्म दिवस
इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का यह 5249वां जन्म दिवस है। शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रात के आठवें मुहूर्त में हुआ था। अष्टमी तिथि की उदया तिथि 19 को है ऐसे में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव 19 अगस्त को मनाना ज्यादा अच्छा रहेगा।

किस योग का क्या महत्व
महालक्ष्मी:
 चंद्रमा और मंगल से बनने वाले इस योग में लेन-देन और निवेश करना फायदेमंद होता है।
बुधादित्य: ये शुभ योग सूर्य और बुध से बनता है। इसमें किए कामों में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
ध्रुव: तिथि, वार और नक्षत्र से बनने वाला ये योग शुभ कामों के लिए बहुत ही खास माना गया है।
छत्र: शुक्रवार और कृत्तिका नक्षत्र से बन रहे इस योग में नई नौकरी या बिजनेस शुरू करना शुभ होता है।
कुलदीपक: बुध, गुरु और मंगल से बन रहे इस शुभ योग में भगवान की पूजा से संतान की तरक्की होती है।
भारती: ये योग गुरु और मंगल से बन रहा है। इसमें किए गए शुभ कामों का पुण्य और बढ़ जाता है।
हर्ष: इस राजयोग में किए गए कामों में किस्मत का साथ मिलता है। सुख और समृद्धि भी बढ़ती है।
सत्कीर्ति: नौकरी और बिजनेस की शुरुआत के लिए इस योग को बहुत ही खास माना गया है।

दिनभर में पूजा के पांच मुहूर्त
कृष्ण जन्मोत्सव रात में मनाने की परंपरा है। लेकिन कुछ लोग रात में भगवान की पूजा नहीं कर पाते हैं। जिसके चलते दिनभर अष्टमी तिथि के दौरान शुभ मुहूर्त में कृष्ण पूजा कर सकते हैं। इसके लिए विद्वानों ने राहुकाल का ध्यान रखते हुए शुभ लग्न और चौघड़िया मुहूर्त बताए हैं। इस तरह दिनभर में पूजा के लिए कुल 5 शुभ मुहूर्त रहेंगे।

सिंह,कन्या,तुला और वृश्चिक राशि वाले कैसे करें जन्माष्टमी की पूजा

सिंह राशि- जिन जातकों की राशि सिंह है वे लोग जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल को गुलाबी रंग का वस्त्र पहनाएं। मेवे का भोग लगाएं।
कन्या राशि- कन्या राशि वाले कान्हा को हरे रंग का वस्त्र पहनाएं और माखन मिश्री का भोग अर्पित करें।
तुला राशि – इस राशि के जातक भगवान कृष्ण को केसरिया रंग का कपड़ा अर्पित करें और धी और माखन का भोग लगाएं।
वृश्चिक राशि- इस राशि को लोग भगवान कृष्ण को लाल वस्त्र पहनाएं और तुलसी के पत्ते के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं।

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