नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा हाल ही में किए गए नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ (new ashok stambh controversy) के अनावरण अब विवादों में आ चुका है। दरअसल, विपक्ष अशोक स्तम्भ को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि पीएम मोदी ने राष्ट्रीय प्रतीक को संशोधित कर चिन्ह ‘अपमान’ किया है।
राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट किया कि राष्ट्रीय प्रतीक में सिहों की अभिव्यक्ति हल्की और और सौम्यता का भाव लिए होती है लेकिन जो नई मूर्ति में “आदमखोर प्रवृत्ति” नजर आती है। आरजेडी के अधिकारिक ट्वटिर हैंडल पर लिखा गया है, “मूल कृति के चेहरे पर सौम्यता का भाव तथा अमृत काल में बनी मूल कृति की नक़ल के चेहरे पर इंसान, पुरखों और देश का सबकुछ निगल जाने की आदमखोर प्रवृति का भाव मौजूद है।” ट्वीट में आगे कहा गया है, “हर प्रतीक चिन्ह इंसान की आंतरिक सोच को प्रदर्शित करता है. इंसान प्रतीकों से आमजन को दर्शाता है कि उसकी फितरत क्या है।
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वहीं विपक्षी पार्टियों ने सवाल उठाया है कि पीएम ने कार्यपालिका के प्रमुख के तौर पर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण क्यों किया? हालांकि इस कलाकृति के डिजाइनरों ने दावा किया है कि राष्ट्रीय प्रतीक में कोई ‘बदलाव’ नहीं है। वहीं इन दिनों सुर्खियों में चल रही महुआ मोइत्रा ने पहले और अब के अशोक प्रतीक की तस्वीर शेयर की है हालांकि इसपर उन्होंने कोई कैप्शन नहीं लिखा।
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वहीं तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सांसद और सरकार द्वारा संचालित प्रसाद भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार ने इसे हमारे राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न का अपमान निरूपित किया है। राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ की पुरानी और नई फोटो शेयर करते हुए उन्होंने ट्वीट में लिखा, “वास्तविक बायीं ओर है-सुंदर और राजसी भाव से भरी। दायीं ओर मोदी का वर्जन है जो नए संसद भव के ऊपर स्थापित किया गया है-अनावश्यक रूप से आक्रामक और अनुपातहीन। शर्मनाक! इसे तुरंत बदला जाए।
इस बढ़ते विवाद पर बीजेपी के चंद्र कुमार बोस ने कहा, “समाज में सब कुछ विकसित होता है। आजादी के 75 साल बाद हम भी विकसित हुए हैं। एक कलाकार की अभिव्यक्ति को जरूरी नहीं कि सरकार की मंजूरी हो। हर जीत के लिए आप भारत सरकार या प्रधानमंत्री को दोष नहीं दे सकते।”
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