राज्य में सख्त जनसंख्या कानून लागू करने की मांग

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हनुमानगढ़। जनसंख्या समाधान फाउण्डेशन हनुमानगढ़ द्वारा सोमवार को जिला कलक्टर को मुख्यमंत्री के नाम बढ़ती जनसंख्या कम होते संसाधन, बढ़ता प्रदूषण, बेरोजगारी, अपराध, महामारी विकास को निगल रही है बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए राज्य में पंचायत राज एवं नगरपालिका तथा सरकारी सेवाओं में लागू 1995 के 2 बच्चों का पुराना कानून को पूर्णतया खत्म कर नए सिरे 2022 से राज्य में सख्त जनसंख्या कानून लागू करने की मांग को लेकर जिलाध्यक्ष मदन पुनियां के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि राज्य में पंचायत राज एवं नगरपालिका तथा सरकारी सेवाओं में लागू 1995 के 2 बच्चों का पुराना कानून को पूर्णतया खत्म कर नए सिर से राज्य में दो बच्चों को सख्त जनसंख्या कानून लागू करने, उचित समाधान के लिए ऐसा कानून बनाए जिसमें भ्रम की स्थिति ना रहे और जाति धर्म व भाशायी बंधनों से ऊपर उठकर देशहित को सर्वाेपरि मानते हुए यह कानून सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू हो, इस कानून के सभी दंडात्मक प्रावधान कानून अधिसूचित होने की तिथि के एक वर्ष के पश्चात कानून तोड़कर तीसरे बच्चे की उत्पत्ति करने वाले जैविक माता पिता पर लागू हो, जनसंख्या समाधान विषयक कानून अधिसूचित होने की तिथि के एक वर्ष के पश्चात तीसरी संतान उत्पन्न करने वाले दंपत्ति की सरकार द्वारा मिलने वाली सभी प्रकार की सहायता एवं अनुदान आदि समाप्त किए जाने का प्रावधान कानून में किया जाए , वर्तमान में राजकीय सेवा में नियोजित दो या दो से अधिक बच्चों वाले माता पिता सरकार द्वारा कानून अधिसूचित होने की तिथि के एक वर्ष के पश्चात कानून तोड़कर अगली संतान की उत्पत्ति करने पर अपने पद पर नहीं बने रह सके ऐसा प्रावधान कानून में किया जाए, सरकार द्वारा कानून अधिसूचित होने की तिथि के एक वर्ष के पश्चात कानून तोड़कर तीसरे बच्चे की उत्पत्ति करने वाले माता पिता को राजकीय सेवा में नियोजित किये जाने की पात्रता समाप्त की जा सके, कानून का एक बार उल्लंघन करने के बाद दोबारा उल्लंघन करने अर्थात चौथी संतान की उत्पत्ति की स्थिति में पिछले प्रावधानों के साथ-साथ दंपत्ति को जेल की सजा का प्रावधान किया जाए ताकि चौथी संतान के बारे में कोई नागरिक स्वप्न में भी ना सोच सके, दंपत्ति को प्रथम बार में जुड़वाँ संतान उत्पन्न होने की स्थिति में परिवार पूर्ण माना जाए और अगली संतान की उत्पत्ति कानून का उल्लंघन मानी जाए।

दूसरे बच्चे के समय जुड़वीं संतान होना एक अपवाद माना जाए और ऐसी स्थिति में कानून प्रभावी ना हो, जाति, धर्म व संप्रदायों से ऊपर उठकर यह प्रावधान स्पष्ट रूप से रहे कि पहली शादी से दो जीवित संतानों के साथ तलाक होने की स्थिति में स्त्री या पुरुश में से कोई भी दूसरी शादी के बाद सतानोत्पत्ति के अधिकारी नहीं रहेंगे, भले ही दूसरे जीवनसाथी का पहल से अथवा पहली शादी से कोई संतान ना हो। अगर एक बच्चा हो तो केवल एक बच्चे की उत्पाने का अधिकार रहे,। जनसंख्या समाधान फाउण्डेशन द्वारा इस विषय को गंभीरता से लेंगे एवं तुरंत दो बच्चों की जनसंख्या नीति राजस्थान प्रदेश में लागू करने की मांग की है। इस मौके पर जिलाध्यक्ष मदन पुनियां, आशीष पारीक, मुरलीधर सोनी एडवोकेट सुरेन्द्र शेखावत, एडवोकेट कमलेश भादू, सुनील चाहर, लक्ष्मीकांत जांदू, महेंद्र पूनियां, शंशाक वालिया, कुंजबिहारी महर्षि, सुन्दर लाल, प्रवीण गोयल, मंजु पूनियां, पुनम, हेमंत सिंह.रविंद्र बिश्नोई, राजु गोदारा, पार्षद बलराज सिंह दानेवालिया, अर्जुन भाटी, रोहित छिम्पा व अन्य सदस्य मौजूद थे।

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