इंदौर: भोपाल के हाई-प्रोफाइल शेहला मसूद हत्याकांड में आज कोर्ट ने दोषी जाहिदा परवेज, सबा फारुकी, क्रिमिनल शाकिब डेंजर और शूटर ताबिश को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। एक अन्य आरोपी इरफान को जुर्म कबूलने करने और जांच में मदद करने के लिए बरी कर दिया गया।
बता दें कि 6 साल से चले रहे इस केस में 137 तारीखों पर सुनवाई हुई। इस दौरान CBI ने 83 गवाह पेश किए थे। शेहला RTI एक्टिविस्ट थीं। उनका भोपाल में 2011 में मर्डर हुआ था। शेहला (38) घर से ऑफिस जाने के लिए निकली थीं। जैसे ही वे कार में बैठीं, उन्हें गोली मार दी गई।
कौन थीं शेहला मसूद?
- शेहला RTI एक्टिविस्ट थीं। इसी से जुड़ा एनजीओ चलाती थीं। शेहला ने 200 से ज्यादा आरटीआई अर्जियां दायर की थीं। वे अन्ना हजारे के इंडिया अगेन्स्ट करप्शन मूवमेंट से जुड़ी थीं। शेहला एन्वायर्नमेंटलिस्ट थीं और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी चलाती थीं। उनके पिता सुल्तान मसूद रिटायर्ड गवर्नमेंट ऑफिसर हैं।
जाहिदा ने क्यों की हत्या?
- शेहला को मारने की पहली कोशिश 14 अगस्त 2011 को हुई, लेकिन शेहला को गोली मारने पहुंचे इरफान और ताबिश बिना गोली चलाए ही लौट आए। 16 अगस्त 2011 को शेहला अपने घर से ऑफिस जाने के लिए जैसे ही कार में सवार हुई, उसे इरफान और ताबिश ने 315 बोर के देशी कट्टे से गोली मार दी। गोली सीधे शेहला की कनपटी पर लगी। शेहला ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
- जाहिदा के बार-बार मना करने के बाद भी ध्रुव जब शेहला से अलग नहीं हुए तो जाहिदा ने तय कर लिया था कि वो शेहला को खत्म कर देगी। इसका जिक्र जाहिदा की डायरी में भी है। जाहिदा ने शाकिब डेंजर को शेहला की हत्या का अपना इरादा बताया। शाकिब ने कानपुर के इरफान और ताबिश से संपर्क कर हत्या का सौदा तय किया। शाकिब ने ही इरफान और ताबिश को शेहला की हत्या के लिए पल्सर बाइक औैर देशी कट्टा मुहैया कराया। साथ ही दो दिन तक शेहला के घर की रैकी भी करवाई।
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