महाराणा प्रताप की जयंती मनाई

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हनुमानगढ़। महाराणा प्रताप बनने के लिए केवल राजपूत होना ही काफी नहीं है, उसके लिए प्रकृति, मानव और पशु सभी से प्रेम करने का भाव मन में होना चाहिए। चेतक के रूप में मिला पशु साथी, वनवास के समय कंद-मूल खाकर बिताए गए समय और हल्दीघाटी के युद्ध में भील योद्धाओं का साथ महाराणा प्रताप की इस विशेषता को परिलक्षित करता है। वर्तमान में समाज को दुर्व्यसनों से एवं कुरीतियों से दूर होने की आवश्यकता है। यह बात महाराणा प्रताप जयंती पर जंक्शन करणी चौक स्थित राजपूत भवन में आयोजित पुष्पांजलि कार्यक्रम में वक्ताओ ने कहीं। वक्ताओं ने महाराणा प्रताप और वर्तमान राजपूत समाज विषय को जोड़कर दिए उद्बोधन में कहा कि गलत परंपराओं को छोड़कर वर्तमान में समाज की युवा पीढ़ी को जमाने के साथ में कंधे से कंधा मिलाकर चलने का प्रयास करना चाहिए और समाज के युवा इस ओर बढ़ भी रहे हैं। समाज में आज सही इतिहास जानने का समय आ गया है। महाराणा प्रताप को जंगलों में भटकने वाला राजा कहना तथा अकबर को महान बताना वामपंथी इतिहासकारों का कुत्सित षड्यंत्र है और अब देश को सही इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए। कार्यक्रम में सर्व समाज के लोगो ने महाराणा प्रताप के चित्र का पूजन एवं दीप प्रज्वलन कर माल्यार्पण किया गया। उपस्थित जन ने महाराणा प्रताप को पुष्पांजलि भेंट की। राष्ट्र रक्षा का संकल्प लिया गया। इस मौके पर भंवर सिंह शेखावत, मालम सिंह शेखावत, बहादुर सिंह शेखावत, विजय सिंह चौहान, शंकर सिंह नरुका, अनूप सिंह राठौड़, प्रताप सिंह राठौड़, देसराज सिंह राठौड़, लाधुसिंह भाटी, बजरंग सिंह भाटी, धने सिंह राठौड़, विजय जोशी, सुमेर सिंह शेखावत, बजरंग सिंह शेखावत, राजेन्द्र तंवर, श्रवण सिंह राठौड़ सहित सर्व समाज के लोग मौजूद थे

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