ईंट भट्ठा व्यवसाय बंद होने की कगार पर, प्रभारी को सौंपा ज्ञापन

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हनुमानगढ़। श्रीगंगानगर ईंट भट्ठा एसोसिएशन ने शुक्रवार को हनुमानगढ़ दौरे पर आये प्रभारी मंत्री गोविंदराम मेघवाल को श्रीगंगानगर जिले के क्षेत्र में स्थापित ईंट भट्टों के विरूद्ध प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अभियन्ता विष्णुदत्त पुरोहित द्वारा जारी किए गए वसूली आदेशों के सम्बन्ध में ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि श्रीगंगानगर जिले के क्षेत्र में स्थापित ईंट भट्टों के विरूद्ध प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अभियन्ता विष्णुदत्त पुरोहित द्वारा जारी किए गए वसूली आदेशों के सम्बन्ध में आपको पूर्व में भी इपन द्वारा अवगत करवाया गया था। उक्त प्रकरण में आज दिन तक कोई राहत नही मिली है।  उन्होंने बताया कि  श्रीगंगानगर जिले के क्षेत्र में 165 ईंट भट्टों पर इन्वायरमेंट कम्पनसैशन के नाम पर प्रति ईंट भट्टे पर लगभग 25,00,000/- रूपये (अखरे पच्चीस लाख रूपया) पैनल्टी के रूप में लगाई गई है। पूरे जिले में ईंट भट्टा सूक्ष्म उद्योग की श्रेणी में आता है, जो इलाके में सबसे बड़ा उद्योग है, जो कि आबादी क्षेत्र से दूर ग्रामीण आँचल में लगता है। प्रत्येक इंट भट्ठे पर लगभग 150 परिवार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से  मजदूर कुल 25 हजार परिवार अपना पालन-पोषण करते है तथा अपने जीवन का निवर्हन करते हैं। श्रीगंगानगर जिले में किसी भी ईंट भट्ठे पर कोयले का उपयोग नहीं किया जाता है। सारे ईंट भट्ठों कृषि अपशिष्ट (सरसों की तूड़ी) का उपयोग किया जाता है, जिससे किसानों को कृषि अपशिष्ट बेचकर 40 करोड़ का मुनाफा होता है। श्रीगंगानगर जिले में स्थापित 165 ईंट भट्ठों को बंद किया जाता है, तो किसानों द्वारा अपशिष्ट को खुले में एक साथ जलाया जायेगा, जिससे भारी मात्रा में पर्यावरण प्रदूषण होगा, जिससे गम्भीर बीमारियाँ फैलने की आशंका है अर्थात् पंजाब में पराली जलाने की जो अवस्था होती है वहीं यहाँ लागू हो जायेगी, जिससे आमजन का जीना दुःभर हो जायेगा तथा इसके साथ-साथ किसानों को आर्थिक नुकसान होगा। इसके साथ-साथ राजस्थान में बेरोजगारी की स्थिति शत-प्रतिशत बढ़ जायेगी तथा मजदूरों का रोजगार भी एक तरह से छिन जायेगा, जो कि सरकार के मूल भावना सर्वजन कल्याण के विपरीत होगा। ईंट भट्ठे बंद होने के कारण इन भट्टों पर कार्यरत तकरीबन 20 हजार परिवार अपनी आजीवीका चलाने में असमर्थ हो जायेंगे व गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन की श्रेणी में आ जायेंगे। प्रत्येक ईंट भट्टा सरकार को माईनिंग व जी.एस.टी. के तकरीबन 10,00,000/-रूपये (अखरे दस लाख रूपये) देता है, तो बंद होने पर प्रतिवर्ष साढ़े सौलह करोड़ रूपये की राजस्व हानि भी होगी। श्रीगंगानगर ईंट भट्ठा संघ ने ज्ञापन देकर भट्टा संचालकों को राहत देने की मांग की है। इस मौके पर जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र छाबड़ा, श्याम बतराना, जगदीश जाखड़, विशाल बलाना, जुगल सिंह ,दीपक कालडा, प्रवेश वधवा सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।

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